मेरठ में सिलेंडर बनाने वाले के सहारे जांच एजेंसी गया के दुकानदार की पहचान करने की कोशिश कर रही है।

मेरठ के सिलेंडर

जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विस्फोट में इस्तेमाल किए गए सिलेंडर पर विशेष निशान मौजूद था। इसी से इसके मेरठ में बनने की पहचान हो पाई। वैसे सिलेंडरों की गुणवत्ता काफी खराब थी, जिसके कारण विस्फोट के दौरान उनकी तली फट गई थी। इसी वजह से मंदिर को कोई खास नुकसान नहीं हुआ। मेरठ में सिलेंडर निर्माता से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि गया या उसके आसपास के शहरों में किस-किस दुकानदार को इसकी सप्लाई की गई थी।

टाइमर का इस्तेमाल

जांच अधिकारी का मानना है कि एक बार सिलेंडर बेचने वाले दुकानदार का पता चलने के बाद उन्हें खरीदने वाले के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है। इसी तरह विस्फोट करने के लिए गुजरात के राजकोट में बने टाइमर का प्रयोग किया गया था। लेकिन टाइमर को असम से खरीदकर लाया गया था। इन्हें बनाने वाली कंपनी ने एनआईए को बताया है कि लोटस ब्रांड वाली इन घडिय़ों को उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए खास तौैर बनाया गया था।

जारी किया स्केच

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि असम में इन घडिय़ों को बेचने वाले दुकानदार की तलाश की जा रही है। अभी तक की जांच के आधार पर एनआइए धमाके लिए इंडियन मुजाहिदीन को जिम्मेदार मान रही है, जिसने स्थानीय आतंकियों की मदद से घटना को अंजाम दिया था। सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीद गवाहों की मदद से एनआइए ने एक संभावित आतंकी का स्केच भी जारी किया है।