गायत्री और राजकिशोर का 'राज' खत्म

करप्शन के आरोपों में घिरे मंत्रियों को अखिलेश ने बर्खास्त किया

-अवैध खनन में गायत्री प्रजापति पर सीबीआई जांच की आंच

-जमीनों पर कब्जा के आरोप में राजकिशोर सिंह पर कार्रवाई

LUCKNOW(12 Sept):

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और लघु सिंचाई-पशुधन एवं पंचायती राज मंत्री राज किशोर सिंह को सीएम अखिलेश ने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। सोमवार सुबह मुख्यमंत्री ने अचानक दोनों

कैबिनेट मंत्रियों को बर्खास्त करने का लेटर राजभवन भेजा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। बता दें कि गायत्री प्रजापति को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है। चर्चा है कि अवैध खनन मामले की सीबीआई जांच में गायत्री का फंसना तय माना जा रहा है, जिससे उन्हें हटाया गया है। वहीं राजकिशोर सिंह के खिलाफ करोड़ों रुपये की जमीनों पर अवैध कब्जा के आरोप में कार्रवाई हुई है।

सीबीआई की फांस बनी वजह

सूबे में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की जांच गत 28 जुलाई को हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी। राज्य सरकार ने आदेश को हाईकोर्ट में दोबारा चुनौती दी जिसे तीन दिन पहले खारिज कर दिया गया। मामले में गायत्री प्रजापति का फंसना तय माना जा रहा है। छह हफ्ते में हाईकोर्ट को अवैध खनन की स्पेशल रिपोर्ट सौंपने के लिए सीबीआई की टीमें लगातार जिलों में खनन माफिया पर शिकंजा कसती जा रही है। वहीं इससे पहले भी गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ लोकायुक्त संगठन में शिकायतें हो चुकी हैं जिसमें उन पर अवैध खनन के कारोबारियों को संरक्षण देने के आरोप है। कभी उनके करीबी रहे अमेठी निवासी ओमशंकर द्विवेदी ने लोकायुक्त संगठन में उनके द्वारा आय से अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप लगाने के साथ अवैध खनन कारोबार में संलिप्तता के गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि, बाद में उन्होंने शिकायत वापस ले ली थी। वहीं सामाजिक कार्यकत्री नूतन ठाकुर ने भी उनके खिलाफ कई जिलों में अवैध खनन कराने की शिकायत लोकायुक्त संगठन में की थी।

महंगी जमीन का सौदा वजह

वहीं सूत्रों का कहना है कि हरियाणा के गुरुग्राम में एक बेशकीमती जमीन का सौदा करना राजकिशोर सिंह को महंगा पड़ गया। मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंची और उन्होंने अपने स्तर से जांच करायी। शिकायत को सही पाया गया और फिर मुख्यमंत्री ने खुद उन्हें हटाने का फैसला कर लिया। राजकिशोर ने जिस जमीन का सौदा किया उसकी कीमत सैकड़ों करोड़ में है। राजकिशोर को काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव और आजम खां का करीबी माना जाता है। उनके रिश्ते प्रोफेसर राम गोपाल यादव से भी च्च्छे हैं। पहली बार वह बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे, बसपा सरकार में मंत्री भी बने। जब मायावती सत्ता से बाहर हुईं तो वह पाला बदलकर सपा में आ गये। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर जीते और मंत्री बने।

दो मंत्री बर्खास्त, मुलायम को खबर नहीं

सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार सुबह दोनों मंत्रियों को एक घंटे के भीतर निपटा दिया। दोनों की बर्खास्तगी के अलग-अलग पत्र राजभवन भेज दिये गये। पूरे घटनाक्रम के दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव दिल्ली में थे जहां उन्होंने मीडिया से बातचीत में मंत्रियों की बर्खास्तगी की जानकारी नहीं होने की बात कही। बोले कि दोनों को क्यों हटाया गया, मुझे ये भी नहीं पता है। पहले भी गायत्री प्रजापति को लेकर काफी बातें हुयी थी। मैंने अपने मंत्रियो से कह दिया था कि कोई आरोप न लगे। मुख्यमंत्री से जरूर कोई शिकायत हुई होगी। सभी मंत्री हमारे हैं, हमने ही मंत्री बनाया था। मेरे मंत्री बेदाग रहे तभी जनता ने तीन बार मुख्यमंत्री बनाया। इस बार भी हमने बहुमत मांगा तो जनता ने दे दिया। अगर दोनों मिलना चाहेंगे तो जरूर मिलेंगे क्योकि वो मंत्री भले नहीं है, एमएलए तो हैं।

किसे मिले जिम्मेदारी

रामगोविंद और मूलचंद चौहान को बांटा काम

मुख्यमंत्री ने लघु सिंचाई एवं पशुधन विभाग का अतिरिक्त प्रभार अपने पास रखा है। वहीं समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, सैनिक कल्याण मंत्री राम गोविंद चौधरी के कद में इजाफा करते हुए उनको पंचायती राज विभाग सौंपा गया है। उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मूलचंद चौहान को खनन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से मंत्री राम गोविंद चौधरी की तारीफ भी की थी। सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजधानी के समीप के जिले से प्रतिनिधित्व करने वाले एक और युवा मंत्री को जल्द ही हटाया जा सकता है। भाजपा से उनकी नजदीकियां बढ़ने की सूचना मुख्यमंत्री तक पहुंची है।

मंत्री बनते ही बदल गई किस्मत

कभी बीपीएल कार्डधारक गायत्री प्रजापति की किस्मत 2012 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद खनन मंत्री का पद मिलने से चमक गयी। लोकायुक्त संगठन में गायत्री की शिकायत करने वाले ओमशंकर द्विवेदी ने खुलासा किया था कि प्रॉपर्टी डीलर से नेता बनने के दौरान गायत्री प्रजापति की आर्थिक हालत च्च्छी नहीं थी। चुनाव के दौरान गायत्री ने 1.81 करोड़ रूपये की संपत्ति घोषित की थी। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने लोकायुक्त संगठन में की गयी शिकायत में गायत्री प्रजापति के पास 942.5 करोड़ रूपये की संपत्ति होने का दावा किया था, हालांकि इनमें से तमाम संपत्तियां उन्होंने करीबियों के नाम और बेनामी भी खरीदी थी।