सिटी में एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसे पुलिस वाले हैं जिनकी दबंगई से आला आफिसर भी परेशान हैं। लेकिन अब इन दबंगों पर सीधे कार्रवाई की गाज गिरने वाली है। कौन हैं ये 'दबंग' और क्यों बने हैं आफिसर्स के लिए परेशानी का सबब। जानने के लिए पढि़ए ये रिपोर्ट।

See pg 7

10 वर्षो से क्वार्टर पर कब्जा जमा रखा है कब्जा

-दबंग पुलिस वालों ने कई वर्षो से जमा रखा है सरकारी क्वार्टर पर कब्जा

-बाहर से आने वाले पुलिस वालों को नहीं मिल पाता रूम

piyush.kumar@inext.co.in

ALLAHABAD: दबंगों की दबंगई हर जगह चलती है। अगर कोई पुलिस वाला दबंग हो जाए तो सोचिए क्या होगा। यकीनन उसे कंट्रोल करना आसान नहीं। ये दबंग अपने विभाग के लिए भी सिरदर्द बन जाते हैं। कुछ ऐसे ही दबंग पुलिस लाइंस में भी हैं। दरोगा बाबू से लेकर पुलिस कांस्टेबल तक अपनी दबंगई दिखा रहे हैं। इलाहाबाद से वर्षो पहले इनका ट्रांसफर हो गया लेकिन उसके बाद भी पुलिस लाइंस में क्वार्टर पर कब्जा जमाए बैठे हैं। कुछ तो ऐसे हैं कि पिछले 10 साल से क्वार्टर पर कब्जा जमाए हैं और खुद दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में ड्यूटी कर रहे हैं। अब इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की प्लानिंग हो चुकी है।

थ्री टाइप के क्वार्टर

पुलिस लाइंस में थ्री टाइप के क्वार्टर बने हुए हैं। पहला टाइप वाले 446 क्वार्टर हैं। इसमें एक बड़ा और छोटा कमरा होता है जो स्टोर रूम व किचन का काम करता है। पहला टाइप वाला फोर्थ क्लास और पुलिस कांस्टेबल को दिया जाता है। दूसरे टाइप के क्वार्टर की संख्या 64 है। इसमें दो कमरे होते हैं। यह हेड कांस्टेबल को मिलता है। तीसरे टाइप के क्वार्टर की संख्या 79 है। यह सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर को मिलता है। इसमें तीन रूम और किचन होता है। अब जो नए रूम बन रहे हैं उसमें कुछ बेसिक सुविधाओं का ध्यान रखा भी जा रहा है।

70 पुलिस वाले शामिल

पुलिस लाइंस में लगभग 600 क्वार्टर हैं। लेकिन प्राब्लम यह है कि इलाहाबाद से ट्रांसफर होने वाले पुलिस वाले अपना क्वार्टर नहीं खाली करते हैं। जिस वजह से बाहर से आने वाले पुलिस वालों को रूम को लेकर बड़ी प्राब्लम होती है। कई बार दबंगई और जुगाड़ टेक्नोलॉजी के कारण वे क्वार्टर पर कब्जा जमाए रखते हैं। पुलिस सोर्सेज की मानें तो ऐसे करीब 70 लोग ट्रेस किए गए हैं जिनका इलाहाबाद से ट्रांसफर हो चुका है लेकिन उन्होंने क्वार्टर नहीं छोड़ा है।

क्यों नहीं करते खाली

अब सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या जुगाड़ है कि वे पुलिस लाइंस से क्वार्टर खाली नहीं करते हैं। दरअसल, पुलिस लाइंस में रहने वाला कोई तो होता नहीं है। अचानक या समय पूरा होने पर ट्रांसफर होने के बाद उनकी फैमिली यहीं रहती है। वे कहते हैं कि साहब बाहर रूम मिल जाएगा तो फैमिली लेकर जाएंगे। दूसरा हाई स्कूल या इंटर में बच्चों के होने पर पढ़ाई का बहाना करते हैं। काफी हद तक ये बातें सही होती हैं। क्योंकि पुलिस लाइंस कांस्टेबल या सब इंस्पेक्टर के लिए यह आसान नहीं होता है कि वे ट्रांसफर के बाद बच्चों को ले जाकर किसी दूसरे शहर में एडमिशन करा लें। इसलिए उन्हें पुलिस ऑफिसर की तरफ से थोड़ी सहुलियत मिल जाती है। लेकिन इसी सहुलियत का फायदा उठाकर वो कई सालों तक क्वार्टर पर कब्जा जमाए रहते हैं। यही नहीं कई ऐसे पुलिस वाले भी हैं जिन्होंने दूसरे जिलों में पोस्टिंग के बाद वहां भी रूम ले रखा है और यहां का क्वार्टर भी हड़पे हुए हैं।

पुलिस अधिकारी भी खामोश

सिटी में पुलिस ऑफिसर के लिए इन पर कार्रवाई करना आसान नहीं होता। क्योंकि जरा सी बात पर लोग अपने अधिकारों को लेकर फ्रंट पर आ जाते हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कई बार जबरदस्ती रूम खाली कराने के लिए नोटिस भेजी जाती है तो पुलिस वाले सीधे हाईकोर्ट की शरण में चले जाते हैं। वहां तर्क देते हैं कि जिस जिले में उनकी पोस्टिंग हुई है, पहले वहां पर रूम दिलाएं फिर क्वार्टर खाली कराएं। इसके अलावा भी कई ऐसी दलील देते हैं कि जिससे पुलिस ऑफिसर बैकफुट पर ही रहते हैं।

अब होगी कार्रवाई

लेकिन अब पुलिस ऑफिसर कार्रवाई की तैयारी में हैं। अगर कार्रवाई सही से हो गई तो कई पुलिस वालों को लाखों रुपए जुर्माना देना होगा। दरअसल, नियम यह है कि अगर कोई रूम नहीं खाली करता है तो शुरुआत में उससे डबल किराया और उसके बाद भी रूम नहीं खाली किया तो ट्रिपल किराया वसूल किया जाए। इस मामले में पुलिस आफिसर अब सख्ती में जुट गए हैं। फ‌र्स्ट फेज में आठ पुलिस वालों को ट्रेस किया गया है जिनसे क्वार्टर खाली कराया जाने हैं.इसके बाद यह सिलसिला आगे भी चलेगा।

FIR कराकर लिया रूम

क्वार्टर खाली कराना इतना भी नहीं है। जो हालत पुलिस लाइंस की है वही हालत पुलिस स्टेशनों में बने हाउसेज की हैं। वहां पर भी पुलिस के लिए क्वार्टर बने हुए हैं। उसकी जिम्मेदारी एसपी सिटी की होती है। इन क्वार्टर्स में भी दर्जनों ऐसे दबंग पुलिस वालें हैं जिन्होंने वहां वर्षो से कब्जा जमा रखा है। हाल ही में एसटीएफ के एक जवान को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन कैंपस में बना क्वार्टर एलाट हुआ था। लेकिन वहां पर एक दबंग दरोगा का कब्जा था। कई महीनों की मशक्कत के बाद भी एसटीएफ का दरोगा रूम खाली नहीं करा सका। लास्ट में एसपी सिटी के आदेश पर सिविल लाइंस थाने में दबंग दरोगा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई। इसके बाद जाकर एसटीएफ के सब इंस्पेक्टर को वह क्वार्टर मिला।

पुलिस को नहीं मिलता रूम

पुलिस के लिए रेंट पर रूम सर्च करना एक चैलेंज है। क्योंकि आम पब्लिक में पुलिस की छवि ठीक नहीं है। लोगों को डर लगता है कि वे दबंगई करेंगे, परेशान करेंगे। ऐसे में सिटी में अपने लिए रेंट पर रूम सर्च करना पुलिस वालों के लिए बहुत कठिन हो जाता है। जो उन्हें पर्सनली जानता है वही रूम भी देता है। पुलिस कांस्टेबल के लिए यह और भी मुश्किल होता है। क्योंकि शहर में बाहर रूम इतना ज्यादा महंगा है कि उसे अफर्ड करना सबके लिए आसान नहीं है। इसलिए हर कोई यही चाहता है कि उन्हें सरकारी क्वार्टर मिल जाए तो बहुत सहुलियत होगी।

पुलिस लाइंस में वर्षो से क्वार्टर पर कब्जा जमाए पुलिस वालों को ट्रेस किया गया है। उनसे किराया वसूली किया जाएगा। फ‌र्स्ट पेज में आठ पुलिस वाले चिन्हित किए गए हैं। जिनके खिलाफ अब रिपेार्ट दर्ज कर कार्रवाई होने वाली है।

देव रंजन वर्मा

सीओ पुलिस लाइंस, आईपीएस

ये हैं दबंग पुलिस वाले

दबंग वन-सब इंस्पेक्टर चिरंजीव। कुछ सालों पहले इलाहाबाद में पोस्टिंग हुई थी। पुलिस लाइंस में क्वार्टर मिला। ख्0क्फ् में इलाहाबाद से लखनऊ ट्रांसफर हो गया। लेकिन अभी तक रूम नहीं छोड़ा।

दबंग टू-सब इंस्पेक्टर हौसला प्रसाद तिवारी ने इलाहाबाद पुलिस लाइंस में रूम लिया। ख्0क्फ् में उनका प्रतापगढ़ में ट्रांसफर हो गया। उसके बाद भी दरोगा जी ने रूम नहीं छोड़ा है।

दबंग थ्री-कांस्टेबल सरदास अहमद वर्षो से इलाहाबाद पुलिस लाइंस में रूम हड़पे हुए हैं। ख्0क्ख् में उनका ट्रांसफर हो गया लेकिन उसके बाद भी रूम छोड़ने को तैयार नहीं हैं। दो साल बाद भी कब्जा जमाए हुए हैं।

दबंग फोर-कांस्टेबल पदम नाथ पाण्डेय का भी दो साल पहले इलाहाबाद से ट्रांसफर हो गया। अब वह कौशांबी में हैं लेकिन उसके बाद भी रूम छोड़ने का कोई इरादा नहीं दिख रहा।

दबंग फाइव-कांस्टेबल संतोष बाजपेई का भी इलाहाबाद से कौशांबी ट्रांसफर हो चुका है। लेकिन कई सालों से पुलिस लाइंस में जमे हुए हैं।

दबंग सिक्स-कांस्टेबल कमलेश यादव ने अपनी जुगाड़ लगा दी है। ख्0क्क् में इलाहाबाद से ट्रांसफर हुआ था। कानपुर में ड्यूटी कर रहे हैं लेकिन यहां रूम नहीं छोड़ा।

दबंग सेवेंथ-कांस्टेबल बहादुर सिंह। ये सिर्फ नाम के ही बहादुर नहीं है बल्कि इनकी दबंगई का आलम यह है कि क्998 से पुलिस लाइंस में अपना क्वार्टर नहीं छोड़ा है।

दबंग एट-हेड कांस्टेबल सलामुद्दीन भी कम दबंग नहीं हैं। इलाहाबाद से साढ़े तीन साल पहले कौशांबी ट्रांसफर हो गया। लेकिन अभी तक पुलिस लाइंस से रूम खाली नहीं किया है।