नामांकन की शुरुआत के साथ संगमनगरी में भी 30 जनवरी से चुनाव की रणभेरी बज गई। इसके साथ ही राजनीतिक पार्टियों की सरगर्मी भी बढ़ गई। चाय आदि की दुकानों पर होने वाली चर्चाओं में अब विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशियों को लेकर चर्चा गरम होने लगी है। प्रत्याशियों के चेहरे के आधार पर ही पार्टी के चाल और चरित्र का गठन भी होने लगा है। इसी आधार पर अब इलाहाबादी प्रदेश में सरकार गठन को लेकर दावे भी करने लगे हैं। सोमवार को बालसन चौराहे के पास स्थित राजू टी स्टाल पर हो रही चर्चा भी कुछ इसी दिशा में आगे बढ़ती नजर आई। बस फिर क्या था आई नेक्स्ट रिपोर्टर भी कुछ देर के लिए चर्चा में शामिल हो गया।

राजू टी स्टॉल पर चाय का आर्डर देने के बाद मानिक चंद्र पटेल ने दावा किया कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी के मंच साझा करने से उप्र में इनके सरकार बनाने का दावा मजबूत हो गया है। अपनी बात बढ़ाते हुए पटेल बोले, यदि युवा केंद्र में मोदी को जीता सकते हैं तो विधानसभा चुनाव में दो युवाओं को उनका पूरा समर्थन मिलने जा रहा है। डॉ। सविंद्र यादव व संतलाल वर्मा ने उनकी बातों का समर्थन करते हुए 2014 में परेड ग्राउंड में हुई नरेन्द्र मोदी की रैली का जिक्र छेड़ा। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने मंच से ऐलान किया था कि पूरब के ऑक्सफोर्ड का पुराना गौरव वापस दिलाया जाएगा। लेकिन सरकार गठन के ढाई साल बाद भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया और उनका ऐलान और स्थानों की तरह यहां भी बस जुमला ही बनकर रह गया। यह सुनते ही जोश में आए सुरेन्द्र यादव तपाक से बोल पड़े यह तो जुमले वाली सरकारे है। यह सुनते ही वहां बैठे सभी लोग ठहाके लगाने लगे।

लोगों की यह प्रतिक्रिया अशोक सिंह पटेल और विनोद कुमार यादव को नागवार लगी, माहौल को देखते हुए इन लोगों ने नपे तुले शब्दों में बोलते हुए कहा कि उ जुमला नहीं था, सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है। उन्हें सबसे अधिक कष्ट लोगों के ठहाके से था, इसलिए बोले हंसना ही है तो कांग्रेसी पप्पू पर हंसो, जो 27 साल यूपी बेहाल का नारा लगाता घूम रहा था और अब पांच साल सरकार चलाने वालों के साथ ही गठबंधन कर रहा है। यह सुन सुरेन्द्र यादव बोले अखिलेश और राहुल दोनों युवा हैं और इस बार युवा ही सरकार बनाएंगे।

अब तक चर्चा में शामिल नहीं हुए आर्यन यादव से भी रहा नहीं गया तो वे टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा पर पिल पड़े। बोले, सबसे ज्यादा बाहुबली और अपराधियों को टिकट तो इस बार भाजपा ने ही दिया है, फिर वह अपराध पर अंकुश क्या खाक लगाएगी। प्रदेश का कोई भी विधान सभा क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी का विरोध न कर रहे हों। पार्टी के कार्यकर्ता ही अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या का पुतला फूंक रहे हैं। यह सुन जोश से भरे दुर्गेश यादव खड़े हो गए, दम लगाकर बोले, अरे छोड़ो सब इस बार देखना अखिलेश और राहुल की आंधी में नोटबंदी फुस्स हो जाएगा। नोटबंदी का जिक्र आया तो फिर अशोक सिंह पटेल को मिर्ची लगी और बोले नोटबंदी का फैसला राष्ट्र हित में लिया गया था। वह क्यों फेल हुआ यह आम आदमी समझ रहा है और चुनाव में इसका जवाब भी देगा। आम जनता को समाजवादी पार्टी का ड्रामा, मायावती की खिसियाहट और कांग्रेस की नौटंकी सब समझ में आ रही है। बहस चलते घंटों हो गए थे और लोगों को जब इसका भान हुआ तो वे भी बहस छोड़ अपने-अपने ठिकानों को चल पड़े।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सोच रहा है कि नोटबंदी चुनाव में जीत दिलाएगी। प्रधानमंत्री ने जुमला छोड़ दिया और जनता परेशान हो गई। अब दो महीने की परेशानी का सबक सिखाने का वक्त आ गया है। यह सबक हम लोग युवा सोच के साथ मिलकर उन्हें सिखाएंगे।

डॉ। सविन्द्र यादव

कांग्रेस का स्तर दिन प्रतिदिन गिर रहा है। जनता राहुल गांधी की कार्यशैली से परेशान है। समाजवादी पार्टी से कांग्रेस का गठबंधन सिर्फ अवसरवादी राजनीति का हिस्सा है। सपा का पारिवारिक ड्रामा ही इस बार के चुनाव में उसके विनाश का कारण बनेगा।

अशोक सिंह पटेल

बहुत दिनों बाद ऐसा महसूस हो रहा है कि केन्द्र में कोई सरकार काम कर रही है। विरोधियों की तो आदत में शुमार है प्रधानमंत्री की बुराई। पांच सौ और एक हजार के नोट क्या बंद हुए, सबकी नानी मर गई। सबसे ज्यादा अपराध तो सपा सरकार में हुआ है।

विनोद कुमार यादव

टी प्वाइंट

केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के ढाई साल बाद भी पूरब के ऑक्सफोर्ड का गौरव क्यों नहीं वापस आया, मोदी का यह ऐलान भी जुमला ही रह गया

आम आदम सब समझ रहा है कि नोटबंदी का फैसला क्यों फेल हुआ। इसका जवाब भी पब्लिक चुनाव में देगी जो ऐतिहासिक होगा

पब्लिक यह भी समझ रही है कि नोटबंदी के बाद ही क्यों समाजवादी कुनबे में रार छिड़ गई, इस नाटक का कोई फायदा सपा को नहीं मिलने वाला