मनोज ग्रील और शटर बनाने का बिजनेस करते हैं। इस गोलीबारी में मनोज की बेटी अर्चना भी गंभीर रूप से घायल हो गयी। अपराधियों ने दोनों घरों के लोगों को बंधक बनाकर मारपीट भी की। रात साढ़े बारह से एक बजे के बीच नथुपुर के रेवती रमण के घर में पहले अपराधियों ने डकैती की। रेवती रमण इंश्योरेंस कंपनी में एजेंट हैं। इनके घर से करीब छह हजार रुपये कैश और 45 हजार रुपये के जेवरात लूट लिये गये।

मनोज शर्मा के घर धावा बोला

हथियारबंद अपराधियों ने रेवती रमण के यहां लूटपाट के बाद बगल में मनोज शर्मा के घर धावा बोला। वहां मनोज की पत्नी के जेवरात लूटने के बाद रुपये मांगने लगे। इंकार करने पर मनोज को गोली मारी दी। बेटी अर्चना को भी गोली लगी। उसे पीएमसीएच में एडमिट करवाया गया है। दूसरी बेटी मोनिका को भी जमकर पीटा। चुप रहने की हिदायत देकर आधे घंटे तक घर में सामान ढूंढ़ते रहे।

अपराधियों का डरावना रूप

मनोज शर्मा की तीन बेटियां मोनिका (14), अर्चना (12) और अनुजा (7) और एक बेटा मोहित (9) है। सारे बच्चों ने आंखों के सामने अपराधियों का डरावना रूप देखा। पुलिस को देर रात ही आसपास के लोगों ने खबर दी। पुलिस ने पहुंचकर लाश को सुबह में पीएमसीएच पोस्टमार्टम के लिए भेजा। सीनियर एसपी अमृत राज, सिटी एसपी किम और डीएसपी फुलवारी ने पहुंचकर मामले की छानबीन की। अपराधियों का कोई सुराग नहीं मिल पाया।

अचानक से दरवाजा पीटने लगे

कोई कितना बेबस हो सकता है यह मनोज शर्मा के घर वालों की कहानी सुनकर लगता है। नाबालिग मोहित ने अपनी जुबानी जो कहानी सुनाई वह विचलित करने वाली थी। मोहित ने बताया कि रात में सभी सोये थे। अचानक दरवाजा जोर जोर से पीटने की आवाज आयी। पापा ने दरवाजा खोला तो पांच लोग मुंह बांधे हथियार और डंडा लिये खड़े थे। दो बाहर ही खड़े रहे। घर में घुसते ही चुप रहने की हिदायत दी और मां डॉली के कान की बाली और गले की जितिया छीन ली। इसके बाद पापा से रुपये निकालने के लिये कहा। पापा का पॉकेट चेक किया। उसमें पचास रुपये निकले। फिर और रुपये मांगे तो पापा ने कहा कि खुद ही देख लो। इसपर उन्हें गोली मार दी। पापा गिर पड़े। वही गोली बहन को भी लगी। बीच-बीच में अपराधी मोहित के ही क्रिकेट बैट से सबको पीट रहे थे। कोई बचाने वाला नहीं था। सब बेबस थे।

फिर आपके साथ कौन आयेगा?

अपने पिता को बचाने के लिए मासूम मोहित ने क्या-क्या न किया.  जैसे ही अपराधियों ने मनोज को गोली मारी वह गिर पड़े और जमीन पर छटपटाते रहे। अपराधी तो भाग निकले लेकिन रात के करीब एक बजे मोहित घर से निकला और पड़ोसियों को चिल्लाकर पुकारता रहा। कुछ दूरी पर स्थित दूसरों के घर भी गया। कुछ लोग बाइक से आये भी मगर उसके पिता को हॉस्पीटल ले जाने से इंकार कर दिया क्योंकि उनके घर वाले बार-बार यही कह रहे थे कि तुम लोगों को ही पुलिस फंसा देगी। इसके बाद किसी ने मोहित के पिता को हाथ नहीं लगाया। एक घंटे तक वह जमीन पर तड़पते रहे और आखिरकार दम तोड़ दिया।