- जलकल की लापरवाही से लाइन लॉस पड़ रही है भारी

- बचाकर, 37 हजार लोगों की बुझाई जा सकती है प्यास

आगरा। शहर में पानी का जलस्तर लगातार गिर रहा है। हर वर्ष 10 फीट पानी गिर रहा है। शहरवासी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। घरों के नलों की टूटियां सूखी पड़ी हैं। लोग नल कनेक्शन काटने का आवेदन दे रहा हैं। इसका बहुत कुछ जिम्मेदार जलकल विभाग है। दरअसल पाइप लाइन लीकेज से हर रोज करोड़ों लीटर पानी व्यर्थ में बह जाता है। इस पानी का सदुपयोग कर लिया जाए, तो 37 हजार से अधिक आबादी की प्यास को बुझाई जा सकती है।

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे

जलकल विभाग हर दिन 28 करोड़ लीटर (270 से 280 एमएलडी) पानी सप्लाई करता है। इससे 20 लाख आबादी की प्यास बुझाई जा सकती है, लेकिन फिल्टर प्लांट से पानी साफ होने के बाद नलों तक नहीं पहुंचता है। ये साफ पानी पाइप लाइन लीकेज से व्यर्थ में बह जाता है। एक अनुमान के मुताबिक हर दिन 20 फीसदी पानी लाइन लॉस की भेंट चढ़ा जाता है। यानी 5 करोड़ लीटर पानी हर रोज लापरवाही की भेंट चढ़ जाता है और लोग एक-एक बूंद पानी को परेशान होते हैं। जबकि इस पानी की बर्बादी को रोककर 37 हजार 370 व्यक्तियों की प्यास बुझाई जा सकती है।

20 से 30 फीसदी लाइन लॉस

सरकारी आंकड़ों में 5 फीसदी तक पाइप लाइन से लीकेज जायज माना जाता है, लेकिन शहर में ये लॉस 30 फीसदी तक होता है। इस तरह 20 फीसदी लॉस पानी का आंकड़ा निकाला जाए, तो 28 करोड़ लीटर पानी में 5 करोड़ 60 लाख लीटर पानी पाइप लाइन के लीकेज में बह जाता है। स्टैंडर्ड के अनुसार 135 लीटर पानी प्रति व्यक्ति से पानी का हिसाब लगाया जाए, तो 37 हजार 370 लोगों को भरपूर पानी दिया जा सकता है।

पुरानी पद्धति पड़ रही भारी

पाइप लाइन सुधारने में अब भी पुरानी पद्धति अपनाई जाती है। गढ्डा खोदकर लाइन लीकेज ढूंढा जाता है। इससे बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी हो जाती है, जबकि हाईटेक तरीकों से लीकेज की पहचान करके तत्काल सुधारा जा सकता है और पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है।

जर्जर पाइप लाइन का जाल

शहर में पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन का जाल बिछाया गया और 1 लाख 27 हजार से अधिक घरों में नल लगाए गए। लेकिन हजारों घरों के नलों में एक बूंद पानी नहीं निकलता है। ये पानी के लिए दूसरे सोर्स पर आश्रित हैं, जबकि जलकल के रूप में हर साल टैक्स चुकता करते हैं।