साल 1959 में ही अपना गृहनगर त्याग चुके दलाई लामा ने कहा है कि भारत में आकर उन्होंने सीखा कि पाखंडी बनने से कैसे बचा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि भारत आकर और यहां इतने साल बिताकर उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म के बारे में बहुत कुछ सीखा.

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