-थाई भारत सोसाइटी

वट-पा मोनास्ट्री में आयोजित सेमिनार में पहुंचे दलाई लामा

GAYA/PATNA: बौद्ध मूल परंपरा महायान और थेरवाद के सिद्धांतों में फर्क हो सकता है, पर भगवान बुद्ध ने दोनों के लिए एक ही मंत्र दिया है, वह है विनय। ति?बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने थाई भारत सोसाइटी वट-पा मोनास्ट्री में शनिवार को आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि महायान और थेरवाद को क्रमश: संस्कृत और पाली परंपरा कहते हैं। त्रिपिटक के विनय पिटक में भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं के लिए नियम बताए हैं। दोनों ही परंपरा में भिक्षुओं के लिए विनय के पाठ समान हैं। जरूरत आपस में सामंजस्य स्थापित करने की है। यह सेमिनार त्रिपिटक धर्मग्रंथ के विनय पर आयोजित है, जिसमें 11 देशों के बौद्ध विद्वान भाग ले रहे हैं। इसके पहले दलाई लामा ने वट-पा के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। मोनास्ट्री परिसर में प्रस्तावित फ्रा बोधिनंदामुनि लर्निंग सेंटर का शिलान्यास किया। उन्होंने भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष धम्मदीप जलाकर सेमिनार का उद्घाटन किया। दलाई लामा ने कहा कि अभी अध्ययन-अध्यापन की सख्त जरूरत है। इसी से ज्ञान बढ़ेगा। तभी विनय का अनुपालन सही ढंग से हो सकेगा। भगवान बुद्ध ने कहा था कि जीवधारी के पाप पानी से नहीं धुल सकते हैं और न ही उसे हाथ से हटाया जा सकता है। बुद्ध के ज्ञान दूसरों में नहीं डाले जा सकते हैं। लोगों को लाभ के लिए खुद अभ्यास करना चाहिए।