- रेलवे और निगम ऑफिसर्स एक-दूसरे पर लगा रहे हैं आरोप

- लोकल पब्लिक को हो रही है परेशानी

PATNA : राजेंद्र नगर टर्मिनल का ड्रेनेज पिछले कई दिनों से ब्लॉक है। जिसे आई नेक्स्ट ने प्रमुखता से उठाया भी था। टर्मिनल की यह कोई नयी समस्या नहीं है। ड्रेनेज की समस्या टर्मिनल पर वर्षो से चली आ रही है। लेकिन अबतक कोई स्थायी निदान नहीं निकाला जा सका है। जब भी समस्या आती है रेलवे की तरफ से कोई जुगाड़ तकनीक निकाल कर कुछ दिनों के लिए इससे निजात पा लिया जाता है।

बदबू देने लगा है पार्किंग स्पेस

टर्मिनल का पार्किग स्पेस इतना गंदा हो गया है कि वहां मिनट भर ठहरना भी मुश्किल है। बुकिंग काउंटर के ठीक सामने की स्थिति महीनों से दयनीय बनी है। इससे पहले भी जब आई नेक्स्ट ने इस मुद्दे पर रेल ऑफिसर्स से बात की तो उन्होंने कहा कि सारी समस्याओं का जड़ नगर निगम है। उसी का ड्रेनेज ब्लॉक है इस वजह से हमारा वेस्ट पानी पास नहीं हो पा रहा है और परिसर गंदा रहता है। लेकिन सूत्रों की मानें तो नगर निगम यह मानने को तैयार नहीं है। रेलवे के ही एक ऑफिसर ने बताया कि कंकड़बाग अंचल के ऑफिसर रेल ऑफिसर से मिल कर अपनी नाराजगी जता चुके हैं।

सेफ्टी टैंक का न होना मुख्य वजह

मालूम हो कि टर्मिनल का जब से इनॉगरेशन हुआ है तभी से यहां ड्रेनेज की समस्या है। इतनी बड़ी बिल्डिंग में एक भी सेफ्टी टैंक नहीं है। इससे पानी के साथ-साथ जितना भी रॉ मटेरियल है वो आउटलेट के थ्रू संप में आकर उसे जाम कर देता है। लेकिन रेल ऑफिसर इस सच्चाई को स्वीकारते ही नहीं हैं कि यहां सेफ्टी टैंक नहीं होने से ये परेशानी है। टर्मिनल पर कार्यरत एक ऑफिसर बताते हैं कि अगर निगम की ही समस्या है तो यह जरूरी नहीं है कि निगम में अगर अपना ब्लॉकेज ठीक कर लिया तो टर्मिनल का ब्लॉकेज ठीक हो जायेगा। हैरत की बात तो यह है कि यहां स्थित सुलभ शौचालय का भी सेफ्टी टैंक नहीं है और उसका भी वेस्ट सीधे नगर निगम के नाले में गिरता है।

लोगों को हो रही है परेशानी

टर्मिनल के पार्किंग एरिया के सामने वाली गेट से होते हुए पानी फ्लाई ओवर के बांयी तरफ से गुजरते हुए पेट्रोल पंप तक बहता रहता है। इससे उधर से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी होती है। पार्किंग स्पेस में भी लोग गाड़ी पार्क करने के बाद रेलवे को कोसते नजर आते हैं।

वर्षो से मैं यहां काम कर रहा हूं। अक्सर यही स्थिति रहती है। साहब लोग को कह कर थक गये हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। परेशानी होती है। पैसेंजर्स से गाली सुनने को मिलता है ।

-सुरेश प्रसाद, पार्किंग कर्मी

छह महीने बाद यहां आया हूं। छह महीने पहले भी यही स्थिति देखकर गया था। कोई बदलाव नहीं आया है। निगम हो या रेलवे जिसकी भी जिम्मेवारी है उसे समझना चाहिए कि इससे आमलोगों को कितनी परेशानी होती है।

-रजनीश कुमार, लोकल पब्लिक

हम तो रोज ही देख रहे हैं। पिछले साल ही लोगों ने स्टेशन मैनेजर का घेराव किया था, तब इन्होंने कहा था कि सब ठीक हो जायेगा। कुछ महीनों से फिर स्थिति वही है। लोगों को काफी परेशान हो रही है।

-सुधीर कुमार, लोकल पब्लिक