-हेडक्वार्टर से लेटर जारी होने के बाद बनारस रोडवेज के बेड़े से 50 बसेज को हटाने की तैयारी
-काशी व कैंट डिपो की अधिकतर बसेज हो चुकी हैं खटारा, ऑर्डनरी बसेज को लग्जरीनुमा बनाने पर जोर
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प्रॉपर मेंटीनेंस के अभाव में धीरे-धीरे खटारा में तब्दील हो रही रोडवेज बसेज को अब लग्जरीनुमा बनाने और बेडे़ में शामिल बूढ़ी हो चुकी बसेज को दरकिनार करने की विभाग ने तैयारी की है। इसके लिए हेडक्वार्टर से लेटर जारी हुआ है जिसके बाद गुरुवार को ऐसी बसों की लिस्ट बननी भी शुरू हो गई है। बता दें कि कैंट व काशी डिपो से संचालित होने वाली अधिकतर बसेज खटारा हो चुकी हैं। इस तरह की 50 बसों को मार्क भी कर लिया गया है जो आये दिन किसी न किसी प्रॉब्लम के चलते वर्कशॉप पहुंचती हैं। बनारस डिवीजन से सिटी में चलने वाली भी कई ऐसी बसेज हैं जो रखरखाव के अभाव में खटारा का रूप लेती जा रही हैं। इन बसों की हालत अच्छी न होने के कारण इनमें यात्रियों को जहां सफर करने के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं इसके चलते रोडवेज को भी लॉस हो रहा है।
अब नहीं चलेगा धक्का प्लेट
रोडवेज की अधिकतर बसेज में बारिश होने पर छत से पानी टपकना, डैमेज सीट व बस के अंदर उबड़-खाबड़ फर्श मिलना कॉमन बात है। कुछ ऐसी भी बसेज दौड़ रही हैं जो धक्का प्लेट से स्टार्ट होती हैं। ऐसी बसेज को तत्काल बाहर करने का आदेश दिया गया है। बैटरी की कंडीशन अच्छी नहीं होने और लोकल पार्ट्स यूज होने के कारण बसेज जल्द, जल्द वर्कशॉप पहुंच रही हैं। ऐसी बसेज को बेहतर बनाने और बस के अंदर बेहतरीन इंटीरियर कराने का फरमान सूबे के सभी आरएम, एआरम को मिला है।
बनारस रोडवेज पर एक नजर
-कुल बसेज साढ़े चार सौ
-ड्राइवर्स, कंडक्टर्स साढ़े तेरह सौ
-सिटी, जेएनयूआरएम की चल रही बसेज
-कैंट डिपो, ग्रामीण डिपो व काशी डिपो
-दो लाख किमी चलने पर बसेज कर दी जाती हैं बाहर
-दस साल की अवधि पूरा होते ही बाहर होती हैं बसेज।
-वर्कशॉप में फिलहाल एक दर्जन बसेज हो रही हैं रिपेयर।
हर बस की अब अलग से मॉनिटरिंग की जाएगी। पुरानी बसों पर अधिक फोकस कर उन्हें बेहतर बनाया जाएगा। अपनी उम्र पूरी कर चुकी बसों को बेडे़ से बाहर करने का फरमान है।
अरविंद सिंह
एआरएम, कैंट रोडवेज बस स्टेशन