- भूकम्प के झटके, तेज रफ्तार हवाएं और खराब मौसम जर्जर इमारतों के लिए हैं खतरा

- कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

VARANASI : कभी धरती डोल रही है तो कभी आंधी इंसानी बस्तियों के खिलाफ मोर्चा खोल रही है। इस माहौल से शहर दहशत में है। खासकर उस इलाके के बाशिंदे ज्यादा खौफजदा हैं जहां जर्जर मकान बहुतायत हैं। दो दिनों तक आए भूकम्प के झटकों से मजबूत से मजबूत इमारतों में दरार पड़ गयी है। गनीमत रही कि कोई बिल्डिंग जमींदोज नहीं हुई। गिरने को आतुर जर्जर मकानों किसी तरह से खुद को संभाला। वहीं मंगलवार को चली तेज हवा इन मकानों के पांव उखाड़ती नजर आई। आलम यह है कि बेहद खतरनाक स्थिति होने के बावजूद इन जर्जर मकानों पर जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है। खुदा न खास्ता इनमें से अगर कोई भी इमारत ढह गई तो फिर अफसोस करने के सिवाय कुछ भी न बचेगा।

सैकड़ों हैं डेंजर जोन में

- नगर निगम के पास जो आंकड़े हैं उनके मुताबिक शहर में फ्भ्0 जर्जर मकान मौजूद हैं। जिनमें से मैक्सिमम बिल्डिंग्स पक्का महाल एरिया में हैं। गंगा किनारे बसे इलाकों में ढाई सौ जर्जर मकान मौजूद हैं। मकानों की हालत ऐसी ही कि जरा सा झटका भी इन्हें जमींजोद करने भर को काफी है। घनी आबादी वाले इलाकों में मौजूद इन मकानों के आसपास दर्जनों मकान ऐसे हैं जिनमें सैकड़ों परिवारों की गृहस्थी है। खास बात यह है कि इन इमारतों के गिरने पर ये अपनी चपेट में कई अन्य बिल्डिंग्स को भी ले लेंगी। जिससे उनमें रहने वालों की जान भी खतरे में पड़ने की आशंका है।

झटकों ने हिलाकर रख दिया

- ख्भ् और ख्म् अप्रैल को आए भूकम्प के झटकों ने जर्जर मकानों को झकझोरकर रख दिया

- आसपास के मकानों में रहने वाले दहशत में आ गये थे। मकानों के गिरने का खतरा देख वे अपने घरों से भाग निकले

- अब तेज हवाओं ने हमला शुरू कर दिया। मंगलवार सुबह हवा की रफ्तार इतनी तेज थी कि जर्जर मकानों के गिरने का खतरा फिर सामने आ गया

- यह देखकर जर्जर मकानों के आसपास रहने वालों की जान सांसत में आ गई। आपात स्थिति के लिए वे रेडी हो गए

- कुछ देर बाद हवा की रफ्तार भले ही धीमे हो गयी हो लेकिन बारिश की आशंका अब भी बनी हुई है।

हकीकत में संख्या है दोगुनी

जर्जर मकान अरसे से इंसानी जान के लिए खतरा बने हैं। नगर निगम के पास इनका जो आंकड़ा है उनकी तुलना में हकीकत में जर्जर मकानों की संख्या दोगुनी है। इन्हें सुरक्षित तरीके से जमींदोज करने में जिम्मेदार इंटरेस्टेड नहीं दिखा रहे हैं। चौक, बांसफाटक, सोनारपुरा, शिवाला, मदनपुरा, दशाश्वमेध समेत ढेरों एरियाज में यह खतरा कई सालों से मौजूद हैं। ढेरों जर्जर मकानों का मामला अदालत में चल रहा है। इसकी वजह से उन्हें गिराया नहीं जा पा रहा है। जबकि कई जर्जर मकानों में लोग रहते हैं। वे इसे तोड़ने नहीं देते। वहीं संकरी गलियों में मौजूद होने की वजह से उन्हें सेफली गिराने का इंतजाम नगर निगम के पास नहीं है। बेहद खर्चीला होने की वजह से मकान मालिक भी इस पर गंभीर नहीं होते हैं।

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जर्जर मकानों की पूरी जानकारी नगर निगम के पास है। उनसे होने वाले नुकसान की किसी भी आशंका का पूरा ध्यान रखा जाता है। खतरा होने पर उन्हें सेफली गिराया जाता है।

उमाकांत त्रिपाठी

नगर आयुक्त