PATNA : पर्यावरण से हो रही छेड़छाड़ का खामियाजा बिहार को उठाना पड़ रहा है। जबकि बिहार का उसमें कोई योगदान नहीं है। रविवार को पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन सभागार में आयोजित पूर्वी भारत जलवायु परिवर्तन कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दूसरे राज्यों में गंगा की धारा को रोका जा रहा है इस वजह से बिहार को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार गंगा के प्रवाह को बढ़ा रहा है पर गाद की वजह से समस्या हमारे खाते में आ रही।

कम हो गई बारिश

नीतीश कुमार ने कहा कि पर्यावरण से छेड़छाड़ की वजह से बिहार का औसत वर्षापात पिछले 12 वर्षो में 1200 -1500 एमएम से घटकर 920 एमएम पर पहुंच गया है। गंगा की अविरलता प्रभावित होने का नुकसान भी बिहार झेल रहा है। इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षव‌र्द्धन और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी मौजूद थे। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम के प्रतिनिधि इस दो दिवसीय कॉन्क्लेव में शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी मोदी के परामर्श को मानते हुए यह एलान भी किया कि राज्य सरकार का पर्यावरण एवं वन विभाग अब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के रूप में जाना जाएगा।

बिगड़ गई मानसून की चाल

मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का बिहार पर खासा असर पड़ रहा है। बचपन से सामान्य ज्ञान के रूप में पढ़ते आए हैं कि बिहार में 15 जून को मानसून आता है पर अब मौसम विभाग लगातार इसके आने की तारीख बढ़ाता रहता है। औसत वर्षापात 1980 से 2010 तक 1027 एमएम पर सीमित हो गया जबकि इसके पूर्व यह 1200 से 1500 एमएम पर था। पिछले 11 वर्षो में यह औसत 912 एमएम पर आ गया है। विगत 12 वर्षों में मात्र तीन वर्ष ही वर्षापात 1000 रहा।

गाद से गंगा की राह में बाधा

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रधानमंत्री को भी यह बता चुके हैं कि गंगा में गाद जमा होने से इसकी अविरलता प्रभावित हो रही है। इसमें बिहार का कोई योगदान नहीं पर नुकसान हमें हो रहा है। यह सोचने की बात है कि इसे कैसे हटाइएगा।

बिहार से गंगा में जा रहा पानी

मुख्यमंत्री ने कहा कि आंकड़ों की मानें तो बिहार में जब गंगा नदी प्रवेश करती है तो 400 क्यूमेक्स पानी बक्सर में आता है। जबकि बिहार की सीमा के बाहर जब गंगा निकलती है तो पानी 1600 क्यूमेक्स हो जाता है।