ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल

सिटी में एलएमटी (लाइट मोटर ट्रेनिंग) के साथ एचएमटी (हैवी मोटर ट्रेनिंग) कोर्स कराया जाता है। कोर्स का कोई तय समय नहीं होता है। यह कार चलाना सीख रहे व्यक्ति पर डिपेंड करता है। स्कूल संचालकों का कहना है कि कोई 10 से 15 दिन में कार ड्राइव करना सीख जाता है, तो कुछ महीनों लगा देते हैं।

तय है उम्र, लेकिन मानते नहीं

दो पहिया हो या फिर चार पहिया इसकी स्टेयरिंग हाथ में थामने के लिए मोटर एक्ट के नियम कानून हैं, जिन्हें कोई मानता नहीं। खासतौर से वे, जिन्हें कम उम्र में लाइट और हैवी व्हीकल्स चलाने का शौक होता है। वह अपनी फैमली की कार या फिर दोस्त की कार से ड्राइविंग में हाथ आजमाना शुरू कर देते हैं। यह सब न हो तो वह ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में एडमिशन ले लेते हैं। जहां वह तय फीस अदा कर कार की ड्राइविंग सीट पर बैठने लगते हैं। वे सभी मिनिमम 18 साल की उम्र के कानून को भूल जाते हैं।

विदाउट लाइसेंस भी

कार ड्राइविंग में परफेक्ट होने के बाद कम उम्र के ड्राइवर को लाइसेंस की टेंशन नहीं होती है। हां, यदि ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ अपनी चेकिंग में ऐसे ड्राइवर्स को पकड़ ले तो इनकी पोल खुल जाती है। बता दें कि ड्राइविंग सीखने के लिए लर्निंग लाइसेंस का होना जरूरी है। साथ ही आप जिस कार को ड्राइव कर रहे हैं, वह लाइट होगी।

रजिस्टर्ड की आड़ में फर्जी भी

डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के रजिस्टर में दर्ज सिटी के ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों की लिस्ट 15 हैं, लेकिन इन रजिस्टर्ड स्कूलों की आड़ में फर्जी स्कूल भी सिटी में चल रहे हैं। यही नहीं कुछ ऐसे भी स्कूल हैं, जो ड्राइविंग सीखने के अलावा ड्राइवर को रोड पर चलने का लाइसेंस भी देते हैं। इसके लिए ड्राइवर को ऐसे स्कूल संचालक की जेब गर्म करनी पड़ती है।

ढिलाई एक्सीडेंट का कारण

ड्राइविंग को लेकर की जाने वाली ढिलाई दूसरे की जान पर आ जाती है। जब कम उम्र के लड़के-लड़कियां रोड पर अपने व्हीकल्स तेजी से दौड़ाते हैं। ऐसे ड्राइवर्स सिटी में आए दिन एक्सीडेंट का कारण बन रहे हैं। पकड़े भी जाते हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस पर तरह-तरह से प्रेशर बनाकर उन्हें बिना कार्रवाई छुड़ा भी लिया जाता है।

कम नहीं हो रहा आंकड़ा

सिटी की रोड पर रोजाना कोई न कोई एक्सीडेंट होता है। पुलिस आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2012 के मुकाबले 2013 में एक्सीडेंट का आंकड़ा कुछ खास कम नहीं है।

साल 2012 - 676 से अधिक रोड एक्सीडेंट

साल 2013 जनवरी से मई तक - 116 से अधिक रोड एक्सीडेंट

इसमें नौसिखिए ड्राइवर्स का आंकड़ा करीब

पांच से सात परसेंट का है।

ऐसे ड्राइवर को चेकिंग में पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाती है। साथ ही उनके पेरेंट्स को बुलाकर फटकार लगा अलर्ट किया जाता है। कम उम्र के केस इन दिनों सिटी में बढ़े हैं।

बीएन तिवारी, एसपी ट्रैफिक,आगरा

बगैर लर्निंग लाइसेंस के ड्राइविंग नहीं सिखाई जाती है। इसके अलावा ड्राइविंग सीखने वाले की उम्र 18 से कम नहीं होनी चाहिए।

सोमेंद्र जादौन, ताज मोटर्स

मोटर एक्ट के तहत ड्राइविंग सीखना या सिखाना गलत है। इसके अलावा रोड पर फर्राटा भरना, नियम के खिलाफ है। ट्रेनिंग स्कूल का रिकार्ड डीटीसी ऑफिस में रहता है।

संजय माथुर, आरटीओ आगरा

समर सीजन बेहतर मौका

ड्राइविंग का क्रेज इन दिनों एका एक बढ़ा है। इसकी वजह समर सीजन का होना है। स्कूल कॉलेज की छुट्टियां है। ऐसे में ड्राइविंग का चस्का हर दूसरे को है। वहीं, समर सीजन को देखते हुए ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल की संख्या भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ी है। जहां पहले एक दर्जन स्कूल थे अब दो दर्जन से अधिक हो गए हैं, जिनमें अधिकांश फर्जी हैं। जो ड्राइविंग का सार्टिफिकेट आरटीओ में सेटिंग के दम पर देते हैं. व्हाल रूल सेस का लोगो लगाएं-

 जिस कार में ड्राइविंग सीखी जाती है उसकी फिटिंग डीटीसी अप्रूब्ड करता है। उसमें ब्रेक और एक्सीलेटर डबल होते हैं।

 ड्राइविंग सीखने के बाद लर्निंग पीरियड तक एक ड्राइवर कार चला रहे व्यक्ति के साथ जरूर होगा।

 लर्निंग व्यस्त रोड पर न सिला खुले मैदान या फिर कम ट्रैफिक वाले रोड पर सिखाना चाहिए।