बजते रहते हैं कान

बहुत ज्यादा हैंड्सफ्री का इस्तेमाल किस कदर घातक साबित हो रहा है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। डॉक्टर्स के पास जाने वाले मरीज अक्सर कान बजने की शिकायत करते हैं। उनका कहना है कि उनके कान से लगातार आवाज आती है। इस लक्षण को टिनाइकस कहते हैं। हैंड्सफ्री से निकलने वाली आवाज की तीव्रता बहुत अधिक होती है और यह सीधे कान के परदे से टकराती है। इससे परदा फट जाता है या तो बुरी तरह डैमेज होने लगता है। धीरे-धीरे यह प्रॉब्लम हियरलॉस तक पहुंच जाती है।

Memory loss  या depression

आमतौर पर नॉर्मल आवाज कान की हड्डी स्टेपिज से टकराकर परदे तक जाती है। यह हड्डी कंपन के जरिए ब्रेन को सिग्नल देती है। अधिक हैंड्सफ्री का यूज करने से स्टेपिज के फिक्स होने के चांसेज बढ़ जाते हैं और हियरलॉस के साथ मेमोरी लॉस की प्रॉब्लम भी क्रिएट होने लगती है। ज्यादा प्रॉब्लम होने पर कुछ लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। हॉस्पिटल्स की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या 30 परसेंट से अधिक है। हियरलॉस हो जाने पर डॉक्टर इन्हें आर्टिफिशियल स्टेपिज लगाने की सलाह दे रहे हैं।

सबसे ज्यादा परेशान हैं youngsters

हियरलॉस की प्रॉब्लम सबसे ज्यादा यंगस्टर्स में देखने में आ रही है। यह वह लोग हैं जो कॉल सेंटर्स, म्यूजिक स्टोर्स, मॉल या फील्ड वर्क में इनवॉल्व हैं। मजबूरी वश इन्हें वर्किंग ऑवर्स में सबसे ज्यादा मोबाइल फोन पर बात करनी पड़ती है। लांग प्रॉसेस में ये हैंड्सफ्री का अधिक यूज करते हैं। इसके अलावा कॉलेज गोइंग गल्र्स में भी यह प्रॉब्लम ज्यादा देखने को मिल रही है। लगातार रेडियो सुनने या फ्रेंड्स से चैटिंग करने की वजह से उनकी सुनने की क्षमता कम होती जा रही है।

Fact files

- कान से कंटीन्यू आवाज आने के लक्षण को खतरे की घंटी समझना चाहिए।

- जरूरत पडऩे पर ही हैंड्सफ्री का यूज करें। इस्तेमाल के दौरान इसका वॉल्यूम मिनिमम ही रखें।

- मोबाइल फोन पर भी जरूरत के मुताबिक ही बात करनी चाहिए। अधिक बात करने से डिप्रेशन, हियरलॉस, मेमोरी लॉस या नींद ना आने की शिकायत हो सकती है।

- प्रोफेशनल्स को अच्छी क्वालिटी का हैंड्सफ्री यूज करना चाहिए। चाइनामेड और सस्ते हैंड््सफ्री की नाइज क्वालिटी घटिया होती है।

- ईएनटी ओपीडी में आने वाले 30 परसेंट अधिक पेशेंट्स को ऐसी प्रॉब्लम होती है।

खासतौर से यंगस्टर्स को अपनी आदत में बदलाव लाना होगा। लगातार हैंड्सफ्री के यूज से उनको हियरलॉस की प्रॉब्लम हो सकती है। ऐसे मरीजों का बढऩा खतरे का संकेत माना जा रहा है। जरा सी लापरवाही आजीवन बहरा बना सकती है।

डॉ। मंगल सिंह, एचओडी, ईएनटी डिपार्टमेंट, एसआरएन हॉस्पिटल