जर्जर पुलों और ओवरलोडिंग ने खड़ी की मुसीबत

इलाहाबाद-मिर्जापुर राजमार्ग पर बना पुल क्षतिग्रस्त होने से बंद

टौंस नदी पर बना पुराना पुल पनासा नहीं झेल पाया वाहनों का प्रेशर हुआ बंद

कोहड़ार घाट पुल भी क्षतिग्रस्त होने के कगार पर

मुंबई-गोवा हाइवे पर महाद के पास सावित्री नदी पर बना पुल ढहना बड़ी घटना थी। यह स्थिति सिर्फ महाराष्ट्र की नहीं है। ओवरलोड चल रहे वाहन और जर्जर पुल बड़ी समस्या बनकर इलाहाबाद में भी मुंह बाए खड़े हैं। स्थिति यह हो गई है कि इलाहाबाद को मिर्जापुर से जोड़ने वाला मार्ग ही खतरे में पड़ गया है। एक पुल को बंद किया जा चुका है जबकि दूसरा भी खतरे का अंदेशा होने पर बंद किया जा चुका है। इसके चलते सड़क मार्ग से इलाहाबाद से मिर्जापुर की दूरी तरीब चालीस किलोमीटर बढ़ चुकी है और परिस्थितियां नहीं बदली और तीसरे पुल भी बंद होने की नौबत आई तो यह सीधा रास्ता पूरी तरह से बंद हो सकता है।

ओवरलोडिंग है बड़ा कारण

मेजा प्रतिनिधि के अनुसार सालों से चली आ रही ओवरलोडिंग का खामियाजा अब मेजा क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ रहा है। ओवरलोडिंग की समस्या के चलते झांसी मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित टौंस पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद अब टौंस पर ही बने पनासा एवं कोहड़ार पुल क्षतिग्रस्त होने के कगार पर है। अगर ये दोनों पुल भी क्षतिग्रस्त हुये तो मेजा एवं कोरांव का संपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तरह टूट कर रह जायेगा। बता दें कि मेजा एवं कोरांव तहसील क्षेत्र की जनता को जिला मुख्यालय इलाहाबाद से जोड़ने के लिये टौंस नदी पर तीन पुल बनाये गये हैं। झांसी मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग बलुहा कटका गांव के बीच अंग्रेजों द्वारा बनाये गये पुल जिस पर कि नीचे से गाडि़यां और ऊपर से ट्रेन जाती थी, जर्जर हो जाने के बाद 1980 में गाडि़यों के लिये बगल में ही नया पुल बनवाया गया। जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह ने किया था। इसके बाद 1982 में कोहड़ार घाट पर कोहड़ार वाया धरवारा करछना मार्ग पर पुल का निर्माण हुआ। बाद में चौरासी क्षेत्र की जनता की सहूलियत के लिये वर्ष 2008 में डिघिया, अमिलहवा वाया पनासा मार्ग पर भी एक पुल का निर्माण कराया गया। इन तीनों पुलों के कारण क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय इलाहाबाद आने जाने में काफी राहत मिली।

क्रशर प्लांट लगने के बाद बदली परिस्थिति

वर्ष 2005 के बाद से मेजा एवं कोरांव के पहाड़ी इलाकों पर खनन माफियाओं की नजर पड़ते ही क्षेत्र की सड़कों एवं पुलों की दशा बद से बदतर हालात में पहुंचने लगी। इसी दौरान मेजा के भटौती पहाड़ी पर क्रशर प्लांट स्थापित होने का सिलसिला जारी हुआ, और 2010 तक पहाड़ी पर तीन दर्जन से भी ज्यादा क्रशर प्लांट पत्थर को तोड़ कर गिट्टी बनाने लगे और ज्यादा मुनाफे को लेकर ज्यादातर कंपनियों के ट्रक ओवरलोडिंग करने लगे। अधिकारियों द्वारा 20 टन लोडिंग का नियम बनाया गया लेकिन 20 टन के बजाय 70 से 90 टन तक की लोडिंग होने लगी। ओवरलोडिंग की समस्या के चलते ही मेजा रोड वाया भटौती कोहड़ार मार्ग, मेजा खास वाया कोहड़ार मार्ग, मेजा रोड वाया कोरांव मार्ग, झांसी मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग सड़कों पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। मेजा रोड वाया भटौती कोहड़ार मार्ग तो किसी तरह से सरकार ने बनवा दिया लेकिन अन्य सड़के अब भी बदहाल पड़ी हुई है।

बड़े वाहनों का संचालन बंद

इसके साथ ही झांसी मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया। पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद मारुति एवं जीप लाइन की गाडि़यों को छोड़ कर बड़ी गाडि़यों के संचालन को बंद कर दिया गया। ऐसी दशा में गिट्टी लदे ओवरलोड ट्रक, डंफर, हाइवा सहित परिवहन विभाग एवं डग्गामार संचालन की बसे पनासा एवं कोहड़ार घाट के पुल से होकर जाने लगी। अचानक बढ़े दवाब एवं भारी ओवरलोडिंग की समस्या के चलते अब पनासा एवं कोहड़ार के पुल भी क्षतिग्रस्त होने के कगार पहुंच गये हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इन पुलों की क्षमता 20 से 50 टन तक की है ऐसे में अगर इसी प्रकार से 70 से 90 टन तक की ओवर लोडिंग की जाती रहेंगी तो निश्चित रूप से पुल क्षतिग्रस्त हो जायेगा। पुल क्षतिग्रस्त हो जाने की दशा में समूचे मेजा एवं कोरांव क्षेत्र की जनता का जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह से टूट जायेगा। साथ ही क्षेत्रीय लोगों को तमाम प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

पुराना नैनी पुल हो चुका है बंद

शहरी एरिया में नैनी में बना पुल भी जर्जर हो चुका है। इस पुल के फ‌र्स्ट फ्लोर से वाहन आते-जाते हैं और दूसरे फ्लोर से ट्रेन आती-जाती हैं। इस पुल को भारी वाहनों के चलते खतरा घोषित करने के बाद नए नैनी ब्रिज का निर्माण हुआ और इस पुल पर भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया। इससे छोटे वाहन चहते हैं लेकिन पुल की सेहत अब भी ठीक नहीं बताई जाती है।