जुलाई 2015 तक हो सकता है कम
एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस जियो इन्फोकॉम के प्रवेश से टेलीकॉम फील्ड में कंपटीशन बढ़ेगी और इंटरनेट शुल्क में कम से कम 20 परसेंट कमी आ सकती है. कंपनी ने हालांकि कहा कि 2009-2013 में जिस तरह शुल्क को लेकर कड़ा कंपटीशन देखी गई थी वैसा नहीं होगा. फिच ने भारतीय दूरसंचार सेवाओं के मामले में 2015 के अपने दृष्टिकोण में कहा कि 'रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो के 2015 की पहली छमाही में प्रवेश से इंटरनेट सेक्टर में कंपटीशन बढ़ेगा और इससे इंटरनेट शुल्क में कम से कम 20 परसेंट की कमी आ सकती है.' गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने घोषणा की थी कि वह 2015 में रिलायंस जियो की 4जी दूरसंचार सेवा पेश करेगी जिस पर 70,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.

4जी पर होगा कम ध्यान

फिच ने कहा कि जियो मुख्य तौर पर इंटरनेट पर ध्यान देगा और इसकी मोबाइल पर बातचीत (वॉयस) वाले मौजूदा कारोबार पर सीमित असर होगा क्योंकि भारत में वॉयस ओवर एलटीई प्रौद्योगिकी का नेटवर्क कमजोर है और 4-जी अनुकूल हैंडसेट की उपलब्धता भी कम है. फिच ने कहा कि 'हमें 2009-2013 का शुल्क युद्ध फिर शुरू होने की उम्मीद नहीं है जिसके कारण उद्योग की शुल्क दरों में भारी गिरावट हुई थी.' फिच को उम्मीद है कि चार प्रमुख भारतीय दूरसंचार कंपनियां - भारती एयरटेल लिमिटेड, वोडाफोन इंडिया, आइडिया सेल्यूलर और रिलायंस कम्यूनिकेशंस - 2014 तक आय के मामले में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाकर 83 परसेंट करेंगी जो फिलहाल 30 अरब डॉलर के इस उद्योग में 79 परसेंट पर है.

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