सुशील कुमार खुद भूखे रहकर भी आईआईटी गुवाहाटी में भेजते हैं प्रति माह पांच हजार

बिटिया के लिए लिया था कर्ज, अब बेटे के लिए भी दोस्तों से कर्ज लेने को तैयार हैं सुशील

ALLAHABAD: जब कोई गरीब पिता बच्चों का करियर बनाने का सपना देखता है तो उसके सामने सबसे बड़ी समस्या धन की आती है। लेकिन जो इसके लिए सबकुछ झोंक देता है उसी की औलादें भी कुछ कर गुजरती हैं। ऐसे पिता है पंक्चर और बाइक बनाने वाले सुशील कुमार तो ख्वाब पूरी करने वाली है बेटी दिव्या जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी गुवाहाटी से इंजीनियरिंग कर रही है। बेटा भी बहन के नक्शेकदम पर है और बीकाम के बाद अब एमबीए करने के सपने देख रहा है।

दाखिले के लिए लिया एक लाख कर्ज

बैरहना के सुशील कुमार की बेटी दिव्या शुरु से ही पढ़ाई में अव्वल रही। जब दिव्या गोल्डन जुबली से इंटर कर रही थी तभी पिता ने पांडेय क्लासेज में कोचिंग की सुविधा दिला दी। नतीजा ये रहा कि उसका दाखिला पहली ही बार में मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में हो गया। लेकिन दिव्या का सपना आईआईटी में दाखिला का था। जब उसने पिता को अपनी इच्छा बताई तो सुशील तैयारी के लिए उसे लेकर कोटा पहुंच गए। वहां जाकर पता चला कि बहुत पैसा लगेगा तो सउदी में रहने वाले दोस्त से एक लाख रुपये कर्ज लेकर एलन कोचिंग में दाखिल कराया।

हर महीने भेजते हैं पांच हजार

दस्तक कोचिंग के सामने दीप आटो सेंटर में मैकेनिक सुशील की बेटी ने कोटा में कोचिंग के दौरान आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दी और उसका सलेक्शन आईआईटी गुवाहाटी में हुआ। दाखिले के वक्त पचास हजार रुपए की जरुरत पड़ी तो उन्होंने फिर दोस्तों का सहारा लिया और बेटी का दाखिला कराया। इसके बाद से सुशील हर माह बेटी को पांच हजार रुपए भेजते हैं।

अब बेटे के लिए लेना है कर्ज

इधर अब बीकाम कर चुका बेटा आशीष भी बाहर जाने की तैयारी में है। जून के पहले सप्ताह में वह नोएडा गया था। लौटकर पिता को बताया कि कोचिंग में दाखिला के लिए एक लाख रुपए की जरुरत पड़ेगी। सुशील कहते हैं बेटी का करियर बना दिया, अब बेटे के लिए भी दोस्तों से कर्ज ले लूंगा।