-विकल्प नहीं होने के चलते ज्यादातर मामलों में दहेज उत्पीड़न कानून को हथियार बनाती हैं महिलाएं

162-केस जनवरी से अब तक परिवार परामर्श केंद्र पहुंचे

62 -केस मार्च माह मे पहुंचे

40-केस की एक दिन में होती है काउंसलिंग

5-केस में पतियों ने शिकायत करके मांगा न्याय

BAREILLY :

महिलाओं के साथ ससुराल में होने वाले अपराधों को लेकर कानून में विकल्पों की कमी के चलते आज भी महिलाओं को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन उन्हें अपनी लड़ाई लड़ने के लिए दहेज उत्पीड़न कानून का ही सहारा लेना पड़ता है। इस तरह के किस्सों से पुलिस लाइन का परिवार परामर्श केन्द्र भरा पड़ा है। क्योंकि उनके पास दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा कानून के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। जिससे अधिकांश महिलाएं किसी भी समस्या के लिए ससुराल वालों पर इन्हीं दो कानून का सहारा लेती हैं। लेकिन परिवार परामर्श केन्द्र में जब काउंसलिंग होती है तो हकीकत कुछ और ही निकलती है। इस तरह के ज्यादातर मामलों में काउंलर दोनों पक्षों को समझाकर समझौता कराने का प्रयास करते हैं।

पति के पास नहीं है समय

शहर के कोतवाली क्षेत्र के बड़ा बाजार निवासी एक कपड़ा व्यवसायी की शादी वर्ष 2016 में शहर की ही एमसीए की पढ़ाई करने वाली युवती से हुई थी। शादी के बाद युवती का पति से कहना था कि शॉप से शाम को समय से घर आओ, लेकिन पति समय से घर नहीं पहुंचता था। शादी के दो माह बाद ही दोनों में इसी बात को लेकर टेंशन हो गई। दो वर्ष तक रिश्ता चला। फिर एक दिन युवती अपने मायके चली गई और ससुराल जाने से इनकार कर दिया। परेशान होकर युवती ने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का प्रार्थना पत्र दे दिया। दोनों पक्षों को जब परामर्श केन्द्र पर कांउसलिंग हुई तो मामला दहेज उत्पीड़न का नहीं बल्कि एक दूसरे को समय न दे पाने का निकला।

देवर की हरकतों से थी परेशान

किला क्षेत्र की एक महिला अपने सास-ससुर से परेशान है। महिला का निकाह छह वर्ष पहले शहर के किला क्षेत्र में ही हुआ था। शादी के बाद महिला के कोई बच्चा नहीं हुआ, जिससे परिवार वालों ने तंग करना शुरू कर दिया। इसी दौरान महिला के साथ उसका देवर अश्लील हरकतें करने लगा। शिकायत करने पर सास-ससुर देवर का ही पक्ष लेने लगे। महिला की जब नहीं सुनी गई तो उसने विरोध किया। इस पर उसके साथ मारपीट की गई। परेशान होकर महिला ने ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाकर प्रार्थना पत्र दे दिया। परामर्श केन्द्र पर काउंसलिंग के दौरान पता चला कि महिला दहेज उत्पीड़न से नहीं देवर के उत्पीड़न से परेशान है।

सास-ससुर ताने देकर करते थे तंग

हाफिजगंज की एक महिला की शादी वर्ष 2014 में सीबीगंज के बिजनेसमैन के साथ हुई थी। शादी के बाद महिला के तीन बेटियां हुई लेकिन बेटा नहीं हुआ। इसी बात पर महिला के सास-ससुर उसे ताने मारने लगे और तंग करते थे। सास-ससुर के तानों से परेशान होकर महिला विरोध करने लगी। लेकिन यह बात सास-ससुर सहन नहीं कर सके और महिला की उसके मायके छुड़वा दिया। मायके में एक वर्ष तक रहने के बाद महिला ने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत की। काउंसलिंग के दौरान दोनों पक्षों से जब काउंसलर ने बात की तो पता चला कि मामला दहेज उत्पीड़न का नहीं था बल्कि बेटा न जनने को लेकर उसे परेशान किया जा रहा था।

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दहेज उत्पीड़न कानून का दुरुपयोग भी

-दहेज उत्पीड़न की कई ऐसी कहानी भी हैं जिनमें दहेज उत्पीड़न की बात नहीं होने पर भी दहेज उत्पीड़न का केस पुलिस को दर्ज करना पड़ा। कई बार तो महिलाएं पुलिस के केस नहीं दर्ज करने पर कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज करा देती हैं। जिसमें पति और ससुराल वाले कोर्ट के चक्कर लगाने को मजबूर हो जाते हैं। जबकि किस्सा हकीकत से परे होता है।