मारन दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक ख़त्म होने से पहले ही बाहर निकल आए थे। उसके थोड़ी देर बाद ही उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया।

बुधवार को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी प्रारंभिक जांच से संकेत मिलते हैं कि दयानिधि मारन ने एयरसेल नामक टेलीकॉम कंपनी के उस समय के मालिक सिवसंकरन पर दबाव डाला, जिसके कारण उन्हें एयरसेल में अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी।

मारन पर आरोप है कि जब वो टेलीकॉम मंत्री थे तब उन्होंने एयरसेल की कई सर्कलों के लिए लाइसेंस देने का फ़ैसला लटका रखा था। मारन इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते रहे हैं।

हाल ही में उन्होंने कहा था कि वो सिवसंकरन जैसे एक बड़े करोड़पति व्यवसायी को कैसे एयरसेल में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

प्रतिक्रिया

दयानिधि मारन के इस्तीफ़े पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, "भाजपा का मानना है कि मारन को पहले ही त्यागपत्र सौंप देना चाहिए था। मुद्दा ये है कि प्रधानमंत्री ने इतने समय तक इंतज़ार क्यों किया। "

प्रवक्ता ने कहा कि जब सन टीवी में निवेश और एयरसेल को लाइसेंस देने के मामले में संबंध होने की बात सामने आ गई थी तो इस्तीफ़ा देने में इतनी देर क्यों की गई।

उन्होंने कहा कि इस्तीफ़ा देने में देरी प्रधानमंत्री की क्षमता पर सवाल पर उठाती है। प्रवक्ता ने कहा, "प्रधानमंत्री अंत तक बचाव क्यों करते हैं? जब बचाव कर पाना असंभव हो जाता है तभी वो एक्शन क्यों लेते हैं? "

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने भी कहा है कि मारन को पहले ही इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। जयललिता ने कहा, "ये बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। मारन के बारे में जो शिकायत आई हैं उनके बारे में राज्य सरकार गंभीरता से जांच करेगी। "

डीएमके

केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफ़ा देने वाले मारन डीएमके के दूसरे मंत्री हैं। इससे पहले टेलीकॉम मंत्री रहे ए राजा भी मंत्रिमंडल छोड़ चुके हैं जिसके बाद उन्हें2जी स्पैक्ट्रम मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया था। ए राजा आजकल दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं। डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि की पुत्री कनीमोड़ी भी इस मामले में जेल में हैं।

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