सफलता : शियाट्स के फोरेंसिक डिपार्टमेंट किया अहम शोध

- नदी में मिलने वाली लाशों की पहचान व मौत का कारण खोजने की राह होगी आसान

- शोध कर्ताओं ने ने प्रशासन को भेजी अपनी रिपोर्ट, वाटर बॉडी बैंक बनाने की मांग

ALLAHABAD: नदी में मिली लावारिस लाशों के मामले में अब पुलिस की तफ्तीश आसान हो जाएगी। संबंधित व्यक्ति को मौत के घाट उतारा गया या अन्य कारणों से उसकी मौत हुई, इस बात का खुलासा करने में अब दिक्कत नहीं आएगी। यह सब संभव होगा शियाट्स के फोरेंसिक डिपार्टमेंट की ओर से किए गए एक कारगर शोध से।

चार साल से चल रहा था शोध

शियाट्स के फोरेंसिक डिपार्टमेंट में नदियों में मिलने वाली लावारिस लाशों की पहचान और मौत का कारण खोजने के लिए चार साल से शोध कार्य चल रहा था। शोधकर्ता डॉ। लव केसरवानी और डॉ। मुनीष मिश्र की चार साल की कड़ी मेहनत रंग ले आई है। डॉ। लव के मुताबिक नदी में मिलने वाले डायोटोम (माइक्रो स्कोपिकशैवाल) के जरिए मृतक की सही पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताई जा सकती है। पोस्टमार्टम के दौरान अगर बॉडी के सभी अंगों व फेफड़ों में डायोटोम की मात्रा अधिक पाई गई तो ऐसे में यह साबित होता है कि उसकी नदी में डूबने से मौत हुई है। अगर बॉडी के नाक और मुंह में डायोटोम पाया जाता है तो इस बात की तस्दीक होती है कि उसकी हत्या कर बाद में डेड बॉडी को नदी में फेंकी गई है। यानी डायोटोम के जरिए मृतक की सही पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस व मृतक के परिजन प्राप्त कर सकते हैं।

शिनाख्त में होगी आसानी

इस शोध के जरिए डेड बॉडी की शिनाख्त में भी सहयोग मिलेगा। शोधकर्ताओं ने बताया कि हर नदी के 10 किलोमीटर की दूरी पर पानी में अलग अलग प्रकार के डायोटोम पाये जाते है। जिससे यह पता लगाना आसान हो जाता है कि बॉडी किस स्थान से बहकर आई हुई है। अगर स्थान का पता लग गया तो बॉडी की शिनाख्त जल्द की जा सकती है। डॉ। लव और डॉ। मुनीष ने अपनी शोध रिपोर्ट प्रशासन को भेज दी है। इस बावत डॉ। लव ने प्रशासन से वाटर बॉडी बैंक बनाने की भी मांग की है। जिसे फोरेंसिक डिपार्टमेंट की लैब में रखा जाएगा।