मैनुअल रसीद से लगती है लाइन

डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में एनुअल फीस सब्मिशन भले ही हाईटेक हो चुका हो, लेकिन डिग्री के साथ ही कई और चीजों के लिए स्टूडेंट्स को फीस डिपॉजिट करने में अब भी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। स्टूडेंट्स को फीस जमा करने के लिए भी लंबी लाइन लगानी पड़ रही है, लेकिन डिग्री की फीस जमा करने के न सिर्फ लाइन लगती है बल्कि इसमें वक्त की भी कोई तय सीमा नहीं है। मैनुअल रसीद होने की वजह से क्लर्क को लिखने में काफी वक्त लगता है।

सिर्फ एक काउंटर पर जमा होती है फीस

यूनिवर्सिटी में डिग्री निकालने के लिए मौजूदा वक्त में महज एक काउंटर ही चल रहा है। इसी काउंटर पर ही डिग्री, प्रोविजनल डिग्री और आरटीआई की फीस जमा होती है। मैनुअल होने की वजह से अगर एक वक्त में 10-12 स्टूडेंट्स एक साथ पहुंच गए, तो इसके बाद फीस जमा करने में कितना वक्त लगेगा यह कोई नहीं बता सकता, क्योंकि एक स्टूडेंट को फीस जमा करने में पांच से 10 मिनट का वक्त लग जाता है, जिससे 10-12 स्टूडेंट्स की फीस जमा होने में घंटो निकल जाते हैं।

एकाउंट डिपार्टमेंट हुआ है हाईटेक

हाल में ही में यूनिवर्सिटी का एकाउंट डिपार्टमेंट भी हाईटेक हो चुका है। इसमें सभी एंप्लाईज को कंप्यूटर से लैस किया गया है। इसके बावजूद डिपार्टमेंट के ही सबसे इंपॉर्टेंट पार्ट को अभी तक मैनुअल ही रखा गया है। इंपॉर्टेंट इसलिए कि डिग्री, प्रोविजनल और आरटीआई तीनों ही स्टूडेंट्स से जुड़े हुए हैं और इनका रेग्युलर यूज होता है।