लैब तो बना लेकिन खुला नहीं

यूनिवर्सिटी में बीजे की 50 सीट्स अवलेबल हैं। लेकिन इनके लिए सिर्फ 80 स्टूडेंट्स ने ही एग्जाम दिया है। यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म के कोर्स की कंडीशन बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। इस डिपार्टमेंट को हाइटेक करने के लिए प्रयास तो किए गए लेकिन अधूरे। 9 अगस्त 2011 को हिंदी डिपार्टमेंट के फर्स्ट फ्लोर पर जर्नलिज्म लैब के लिए शिलान्यास किया गया। 31 मार्च, 2012 को इस लैब का लोकापर्ण भी हो गया। लेकिन आज तक यह लैब वर्किंग नहीं हो पाई है। इस लैब में स्टूडेंट्स को कम्प्यूटर्स पर मीडिया इंडस्ट्री में यूज होने वाले डिफरेंट सॉफ्टवेयर्स की प्रैक्टिकल नॉलेज दी जानी थी। लेकिन पिछले 1 साल से भी अधिक का समय बीत जाने पर भी ऐसा नहीं हो पाया।

7,267 ने दिया बीए एंट्रेंस

यूनिवर्सिटी में बीए की 1950 सीटों के लिए 7,267 स्टूडेंट्स एंट्रेंस एग्जाम में अपीयर हुए। एंट्रेंस एग्जाम के कोऑर्डिनेटर प्रो। श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी ने बताया कि बीए एंट्रेंस एग्जाम में कुल 7,568 कैंडिडेट्स रजिस्टर्ड थे जिनमें से 301 एबसेंट रहे। इस समय बीए की एक सीट के लिए लगभग 4 कैंडिडेट्स लाइन में हैं। इन 1950 सीटों में 1200 सीट्स ब्वॉयज और 750 सीट्स गर्ल्स की हैं।

एग्जाम का जाम

बीए के एंट्रेंस एग्जाम में काफी भारी संख्या में स्टूडेंट्स शामिल हुए। इसका नतीजा यह था कि जब पेपर छूटा तो स्टूडेंट्स के कैंपस से बाहर आने पर यूनिवर्सिटी के सामने पूरी रोड जाम हो गई। यह जाम लगभग 1 घंटे तक बना रहा। कंडीशन यह थी कि लोगों को पैदल रोड क्रॉस करना भी दूभर हो गया।

बीए एंट्रेंस एग्जाम में कुल 7,568 कैंडिडेट्स रजिस्टर्ड थे जिनमें से 301 एबसेंट रहे।

प्रो। श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, एंट्रेंस एग्जाम के कोऑर्डिनेटर