Ranchi : शुक्रवार को उनके पार्थिव शरीर को पैतृक निवास चान्हो थाना क्षेत्र के नावाडीह ले जाया जाएगा। वे मणिपुर में चंदेल जिले के साजिक टंपक में बुधवार को आतंकियों से लोहा लेने के क्रम में शहीद हो गए थे। शहीद होने के पहले उन्होंने चार आतंकवादियों को मार गिराया था। शहीद जवान जयप्रकाश ने अपनी पत्‌नी से वादा किया था कि वे बेटी के बर्थडे (6 दिसंबर) पर अपने घर आएंगे, लेकिन इसके पहले ताबूत में उनका शव घर पहुंच रहा है।

 

चार आतंकियों को मार गिराया

जयप्रकाश असम राइफल्स-चार में सिपाही थे। पिता सुकरा उरांव ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। बेटे ने अपनी जान की परवाह किए बगैर चार आतंकवादियों को मार गिराया। इधर, रांची एयरपोर्ट पर मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, विधायक गंगोत्री कुजूर और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने शहीद के शव पर फूल-माला चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस मौके पर होम सेक्रेटेरी एसकेजी रहाटे, डीसी मनोज कुमार, एसएसपी कुलदीप द्विवेदी, सिटी एसपी अमन कुमार समेत सेना के कई ऑफिसर्स और जवानों ने शहीद को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

 

सीने में लग गई थी गोली

असम राइफल्स के वारंट अफसर देवेंद्र पाल ने बताया कि बटालियन के जवान बुधवार को सर्च ऑपरेशन पर निकले थे। इसी दौरान सुबह 5.35 बजे जवानों की आतंकवादियों से मुठभेड़ हो गई। जयप्रकाश ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए चार आतंकवादियों को ढेर कर दिया। इसी मुठभेड़ के दौैरान आतंकवादियों की दो गोली उन्हें लग गई, जिससे मौके पर ही वे शहीद हो गए।

 

सबका रखता था ख्याल, अब क्या होगा

जवान जयप्रकाश के शहादत की खबर आने के साथ ही चान्हो स्थित नावाडीह गांव मातम में डूब गया। पूरे गांव में किसी के घर चूल्हा नहीं जला। पिता सुकरा उरांव और मां लक्ष्मी उरांव व अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि बेटे को बड़ी मेहनत से पढ़ाया। सोचा था कि बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन सबकुछ छीन लिया। वह हर किसी का ख्याल रखता था, अब क्या होगा? हालांकि, उन्हें इस बात का गर्व है कि देश के दुश्मनों से लोहा लेने में उनके बेटे ने अपनी शहादत दे दी।

 

छह दिसंबर को आने का किया था वादा

छोटी बेटी स्मृति के जन्मदिन पर छह दिसंबर को आने का वादा किया था

जयप्रकाश की पत्‌नी संगीता ने बताया कि उनसे उनकी एक दिन पहले ही फोन पर बातचीत हुई थी। सबकी खैरियत पूछी थी। छह दिसंबर को छोटी बेटी स्मृति कच्छप के जन्मदिन पर उन्होंने घर आने का वादा किया था। कहा था कि इस बार बेटी के जन्म दिन पर पार्टी करूंगा, उसे ढेर सारी गिफ्ट दूंगा, लेकिन उसके पहले ही वे शहीद हो गए। जयप्रकाश चार भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। बड़े भाई विश्वनाथ उरांव और छोटे भाई बसंत रंजीत गांव में खेतीबाड़ी करते हैं।