बार-बार एक ही गलती 
डॉ। केपी जायसवाल इंटर कॉलेज में उस समय हड़कंप मच गया, जब वहां ये इंफॉर्मेशन पहुंची कि केमेस्ट्री टीचर डॉ। एनबी निगम ने कॉपी चेक करने के लिए इवैलुएशन सेंटर पर ड्यूटी ज्वाइन नहीं की है। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने आनन-फानन में संबंधित कॉलेज व ऑफिसर्स को सूचना भेजी की डॉ। निगम कई साल पहले ही दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। डॉ। निगम का केस तो महज एक एग्जाम्पल है। इसके अलावा भी कई ऐसे केस हैं, जिसमें टीचर या तो दुनिया को अलविदा कह चुके हैं या फिर सालों पहले कॉलेज से रिटायरमेंट लेने के बाद इस स्थिति में पहुंच चुके हैं कि वे कॉपी चेक करना तो दूर खुद को नहीं संभाल सकते हैं.

Employees का कारनामा
इवैलुएशन सेंटर पर कॉपी चेक करने के लिए इंटर कॉलेजों के टीचर्स की ड्यूटी यूपी बोर्ड से लगाई जाती है। हर साल की तरह इस बार भी ऑफिसर्स ने ड्यूटी लगाने का काम बोर्ड इंप्लाईज को ही सौंपा। उनकी ओर से ड्यूटी लगाने का काम तो पूरा कर दिया गया, लेकिन मुश्किल अब हो रही है। क्योंकि, ड्यूटी में ऐसे लोगों की भारी संख्या है, जो या तो दुनिया को अलविदा कह चुके हैं या फिर उम्र के ऐसे पड़ाव पर पहुंच चुके हैं, जहां कॉपी चेक करना तो दूर की बात है वे खुद को भी संभाल नहीं सकते। इसके अलावा भी ऐसे टीचर्स की संख्या अधिक है, जो डिफरेंट कारणों से कॉपी चेक करने की स्थिति में नहीं हैं.

लम्बी-चौड़ी formality

जाने-अनजाने बोर्ड इंप्लाईज की ये गलती इवैलुएशन सेंटर्स के ऑफिसर्स के लिए मुसीबत बन गई है। भारी संख्या में डीएचई के एब्सेंट होने पर उन्हें कॉपी चेक करने पहुंचे टीचर्स में से एक को डीएचई बनाना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें लम्बी चौड़ी फॉर्मेलिटी पूरी करनी पड़ रह है। टीचर्स के डीएचई बनाए जाने पर कॉपी चेक करने के लिए टीचर्स की कमी हो रही है सो अलग। सेंटर एडमिनिस्ट्रेशंस की मानें तो चार दिन बीतने के बाद भी 10 प्रतिशत से अधिक कॉपी नहीं चेक हो सकी है। इसका असर लॉस्ट ऑवर्स में पडऩा तय है जब बल्क में कापियों को जांचने के नाम पर निबटाया जाएगा.

ये है आंकड़ों की बाजीगरी
बोर्ड इंप्लाईज की ओर से ड्यूटी के लिए जारी लिस्ट में इस गड़बड़ी को ऑफिसर्स इंप्लाईज की मानवीय भूल मान रहे हैं। वहीं कुछ इसे उनकी आंकड़ों की बाजीगरी मान रहे हैं। सेंटर एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि बोर्ड इंप्लाईज के सामने हर सेंटर पर एक निश्चित संख्या में टीचर्स की ड्यूटी लगानी पड़ती है। इसके लिए उन्हें कॉलेजेज के टीचर्स की लिस्ट डीआईओएस ऑफिस से अवेलेबल कराई जाती है। लिस्ट कॉलेज से अप्रूव्ड होने के बाद बोर्ड को भेजी जाती है। लेकिन, बोर्ड इंप्लाईज जल्दबाजी में नई लिस्ट को तैयार करने के बजाए सालों पुरानी लिस्ट को बिना अपडेट किए जारी कर देते हैं। नतीजा इवैलुएशन सेंटर पर उन टीचर्स का भी इंतजार किया जाता है, जो इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. 

खामियाजा भुगत रहे student
प्रॉब्लम ये है कि इसका खामियाजा उन स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है, जिनका इस गड़बड़ी से कोई लेना-देना नहीं है। कॉपी चेक करने वाले टीचर्स पर अधिक लोड होने के चलते वे कॉपी चेक करने की जैसे-तैसे फॉर्मेलिटी कर रहे हैं। इस स्थिति में स्टूडेंट्स को माक्र्स उनकी काबिलियत पर नहीं बल्कि किस्मत से मिल रहा है। जिसकी किस्मत अच्छी है अच्छे माक्र्स व जिसकी खराब है उसे खराब माक्र्स मिल रहे हैं. 

अब सुबह आठ बजे से होगा मूल्यांकन
भीषण गर्मी और दोपहर में बिजली की अनुपलब्धता को लेकर शिक्षकों की ओर से की गई मांग को संज्ञान में लेते हुए डीआईओएस महेन्द्र कुमार सिंह ने मूल्यांकन कार्य शुरू होने का समय अब सुबह दस बजे के स्थान पर आठ बजे कर दिया है। यह आदेश जारी करते हुए डीआईओएस ने कहा है कि भीषण गर्मी और बिजली न रहने से मूल्यांकन जैसे महत्वपूर्ण कार्य पर असर पडऩा संभावित था। इसी के चलते यह फैसला लिया गया है.

बार-बार एक ही गलती 

डॉ। केपी जायसवाल इंटर कॉलेज में उस समय हड़कंप मच गया, जब वहां ये इंफॉर्मेशन पहुंची कि केमेस्ट्री टीचर डॉ। एनबी निगम ने कॉपी चेक करने के लिए इवैलुएशन सेंटर पर ड्यूटी ज्वाइन नहीं की है। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने आनन-फानन में संबंधित कॉलेज व ऑफिसर्स को सूचना भेजी की डॉ। निगम कई साल पहले ही दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। डॉ। निगम का केस तो महज एक एग्जाम्पल है। इसके अलावा भी कई ऐसे केस हैं, जिसमें टीचर या तो दुनिया को अलविदा कह चुके हैं या फिर सालों पहले कॉलेज से रिटायरमेंट लेने के बाद इस स्थिति में पहुंच चुके हैं कि वे कॉपी चेक करना तो दूर खुद को नहीं संभाल सकते हैं।

Employees का कारनामा

इवैलुएशन सेंटर पर कॉपी चेक करने के लिए इंटर कॉलेजों के टीचर्स की ड्यूटी यूपी बोर्ड से लगाई जाती है। हर साल की तरह इस बार भी ऑफिसर्स ने ड्यूटी लगाने का काम बोर्ड इंप्लाईज को ही सौंपा। उनकी ओर से ड्यूटी लगाने का काम तो पूरा कर दिया गया, लेकिन मुश्किल अब हो रही है। क्योंकि, ड्यूटी में ऐसे लोगों की भारी संख्या है, जो या तो दुनिया को अलविदा कह चुके हैं या फिर उम्र के ऐसे पड़ाव पर पहुंच चुके हैं, जहां कॉपी चेक करना तो दूर की बात है वे खुद को भी संभाल नहीं सकते। इसके अलावा भी ऐसे टीचर्स की संख्या अधिक है, जो डिफरेंट कारणों से कॉपी चेक करने की स्थिति में नहीं हैं।

लम्बी-चौड़ी formality

जाने-अनजाने बोर्ड इंप्लाईज की ये गलती इवैलुएशन सेंटर्स के ऑफिसर्स के लिए मुसीबत बन गई है। भारी संख्या में डीएचई के एब्सेंट होने पर उन्हें कॉपी चेक करने पहुंचे टीचर्स में से एक को डीएचई बनाना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें लम्बी चौड़ी फॉर्मेलिटी पूरी करनी पड़ रह है। टीचर्स के डीएचई बनाए जाने पर कॉपी चेक करने के लिए टीचर्स की कमी हो रही है सो अलग। सेंटर एडमिनिस्ट्रेशंस की मानें तो चार दिन बीतने के बाद भी 10 प्रतिशत से अधिक कॉपी नहीं चेक हो सकी है। इसका असर लॉस्ट ऑवर्स में पडऩा तय है जब बल्क में कापियों को जांचने के नाम पर निबटाया जाएगा।

ये है आंकड़ों की बाजीगरी

बोर्ड इंप्लाईज की ओर से ड्यूटी के लिए जारी लिस्ट में इस गड़बड़ी को ऑफिसर्स इंप्लाईज की मानवीय भूल मान रहे हैं। वहीं कुछ इसे उनकी आंकड़ों की बाजीगरी मान रहे हैं। सेंटर एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि बोर्ड इंप्लाईज के सामने हर सेंटर पर एक निश्चित संख्या में टीचर्स की ड्यूटी लगानी पड़ती है। इसके लिए उन्हें कॉलेजेज के टीचर्स की लिस्ट डीआईओएस ऑफिस से अवेलेबल कराई जाती है। लिस्ट कॉलेज से अप्रूव्ड होने के बाद बोर्ड को भेजी जाती है। लेकिन, बोर्ड इंप्लाईज जल्दबाजी में नई लिस्ट को तैयार करने के बजाए सालों पुरानी लिस्ट को बिना अपडेट किए जारी कर देते हैं। नतीजा इवैलुएशन सेंटर पर उन टीचर्स का भी इंतजार किया जाता है, जो इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. 

खामियाजा भुगत रहे student

प्रॉब्लम ये है कि इसका खामियाजा उन स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है, जिनका इस गड़बड़ी से कोई लेना-देना नहीं है। कॉपी चेक करने वाले टीचर्स पर अधिक लोड होने के चलते वे कॉपी चेक करने की जैसे-तैसे फॉर्मेलिटी कर रहे हैं। इस स्थिति में स्टूडेंट्स को माक्र्स उनकी काबिलियत पर नहीं बल्कि किस्मत से मिल रहा है। जिसकी किस्मत अच्छी है अच्छे माक्र्स व जिसकी खराब है उसे खराब माक्र्स मिल रहे हैं. 

अब सुबह आठ बजे से होगा मूल्यांकन

भीषण गर्मी और दोपहर में बिजली की अनुपलब्धता को लेकर शिक्षकों की ओर से की गई मांग को संज्ञान में लेते हुए डीआईओएस महेन्द्र कुमार सिंह ने मूल्यांकन कार्य शुरू होने का समय अब सुबह दस बजे के स्थान पर आठ बजे कर दिया है। यह आदेश जारी करते हुए डीआईओएस ने कहा है कि भीषण गर्मी और बिजली न रहने से मूल्यांकन जैसे महत्वपूर्ण कार्य पर असर पडऩा संभावित था। इसी के चलते यह फैसला लिया गया है।