एक स्टडी के मुताबिक 10 में से एक ही ऐसा होता है जिसे टैकल करना मुश्किल होता है. अगर आप अपने कलीग्स या फ्रेंड्स को टैकल नहीं कर पाते हैं तो प्रॉब्लम आप में है. साइकोलॉजिस्ट्स के मुताबिक हर किसी की पर्सनालिटी और नेचर अलग-अलग होता है. अगर हम उन्हें उनकी पर्सनालिटी और नेचर के मुताबिक टैकल नहीं करेंगे तो वे निश्चित तौर पर हमारे लिए डिफिकल्ट बन जाएंगे. तो थोड़ा बदलाव लाइए लोगों को डील करने के तरीके में. पहचानिए दोस्तों और कलीग्स की पर्सनालिटी और बदल डालिए उन्हें टैकल करने का अपना तरीका...

Complicated people Complicated people

इनकी पर्सनालिटी कॉम्प्लिकेटेड होती है. ये कब किस बात पर उलझ जाएं, किस बात पर खुश हों और किस बात पर नाराज, ये जानना थोड़ा मुश्किल होता है.

Problem you face: कुछ भी कहो तो बुरा मान जाते हैं. समझाओ तो उलझ जाते हैं. कई बार बहस तक हो जाती है.

Psychologist’s suggestion: अगर ऐसा बिहेव सिर्फ आपके साथ करते हैं तो पूरी गुंजाइश है कि आपकी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी. उस वजह का पता लगाए जिससे वे आपसे बेहतर तरीके से पेश नहीं आते. इस पर भी बात न बने तो उनके साथ ओवर इंवॉल्व ना हों.पॉजिटिव अप्रोच के साथ उनसे दूरी बनाए रखें.

Short tempered people

ये उन लोगों में शामिल हैं जो बेहतर दोस्त और कलीग साबित होते हैं लेकिन इनका गुस्सा एक अच्छे रिलेशन को भी खराब कर देता है.

Problem you face: आप जितना उनसे उलझेंगे वे आपसे और भी ज्यादा उलझते जाएंगे. यानी प्रॉब्लम का एंड नहीं होता!

Psychologist’s suggestion: उन्हें बोलने दें. जब उनका गुस्सा निकल जाए तो उनसे बात करें. वे आपसे भी कुछ रिएक्शंस की उम्मीद कर रहे होते हैं. आप शांत रहकर उन्हें गलत साबित कर दें. उन्हें प्यार से बात कर सरप्राइज्ड कर दें. उन्हें महसूस कराएं कि आप उनसे बात कर रहे हैं ना कि रिएक्ट कर रहे हैं. क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट कृष्णकांत मिश्रा कहते हैं, ‘उनके गुस्से को शांत करने के लिए उनकी कोई बात ना मानें वरना इससे वे मोटिवेट होंगे. उन्हें गुस्सा करने का फायदा दिखेगा.’

Those who comment on others

ये किसी का भी मजाक बनाने का कोई भी मौका नहीं चूकते, रूड कमेंट भी कर सकते हैं. आपको अनकम्फर्टेबल बनाने में ये एंज्वॉय करते हैं.

Problem you face: आपके चेहरे पर परेशानी की शिकन दिखने लगती है तो ये लोग और भी इनकरेज होते हैं.

Psychologist’s suggestion: कृष्णकांत मिश्रा के मुताबिक, ‘ऐसे लोगों की पर्सनालिटी में माइनस प्वॉइंट्स ज्यादा होते हैं. ये सामने बात करने से बचते हैं, आप इन्हें इग्नोर करते रहिए. अगर फिर भी ना मानें तो इनकी गलतियों की लिस्ट तैयार कीजिए. और उन्हें आईना दिखा दीजिए.’

Chronic complainer

किसी में कमियां ढूंढऩा आप इनसे सीख सकते हैं. ये खुद की कमियां तो निकालते ही हैं दूसरों में भी कमियों का भंडार दिखा सकते हैं. इनमें सेल्फ इस्टीम और कांफिडेंस बेहद लो   होता है.

Problem you face: ये आपको इरिटेट और डिसकरेज कर सकते हैं. ज्यों ही इन्हें समझाने की कोशिश करेंगे ये आपको गलत साबित करने की कोशिश करने लगेंगे. ये हमेशा यही साबित करेंगे कि अब कुछ नहीं हो सकता है.

Psychologist’s suggestion:  उनके क्वेश्चन या कम्प्लेन को बिल्कुल साफ-साफ शब्दों में बताने को कहें. अब उनसे ही प्रॉब्लम का पॉसिबल सॉल्यूशन ढूंढऩे को कहें. वे किसी की कमियां निकालते हैं तो उन्हें अच्छी चीजें भी बताने को कहें. इनके साथ पॉजिटिव और सपोर्टिव जरूर रहें लेकिन इनकी शिकायतों से एग्री बिल्कुल ना हों. इसके बाद भी सॉल्यूशन ना दिखे तो उनकेे और अपने बीच एक पर्सनल बाउंड्री खींच लें.

Chronic complainer‘Can‘t say no‘ people

ये लोग किसी भी काम को ना नहीं कहते. ये ना कहने से डरते हैं. इन्हें डर होता है कि लोग इन्हें इनकॉम्पिटेंट समझेंगे. कई बार अपनी कैपेबिलिटी से भी ज्यादा काम अपने सिर पर ले लेते हैं.

Problem you face: कई बार इनको पहचान पाना मुश्किल होता है. आप इन्हें काम सौंप देते हैं, ये काम तो ले लेते हैं लेकिन आपको प्रॉब्लम तब होती है, जब ऐन वक्त पर ये काम पूरा नहीं कर पाते या किसी तरह पूरा भी कर लेते हैं तो क्वॉलिटी नहीं दे पाते.

Psychologist’s suggestion: इन्हें डील करने का सबसे अच्छा तरीका है इनके साथ एक बेहतर रिलेशनशिप रखें. उन्हें कम्फर्टेबल फील कराएं. उनके साथ एक ट्रस्ट डेवलप करें. अगर आप कलीग हैं तो उसे काम ज्यादा लेने के बजाय उसे क्वॉलिटी पर ज्यादा ध्यान देने को कहें. अगर आप बॉस हैं तो कोशिश करें कि वर्क लोड बैलेंस्ड रहे. उन्हें स्ट्रिक्टली कह दें कि कोई भी ऐसे असाइमेंट को एक्सेप्ट ना करें जो आपके  अप्रूवल के बिना हो.

Expert says

कई बार लोग सामने वाले की एक छोटी सी गलती के बेसिस पर उसके बिहेवियर को एनालाइज करते हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर आपको दोस्तों, कलीग्स और रिश्तेदारों के बीच तालमेल बनाकर रखना है तो छोटी-छोटी बातों को तूल देने की बजाय उसे रेशनलाइज करना सीखें. सभी को अपने जैसा बनाने की सोच रखने के बजाय खुद को भी दूसरों के मुताबिक बदलना सीखें. रिश्ते खुद-ब-खुद बेहतर होंगे.

-डॉ. रवि कुमार

साइकोलॉजिस्ट