आगरा। पति की स्वाइन फ्लू से मौत को चार दिन भी न बीते थे कि अब वह अपनी बच्ची को भी स्वाइन फ्लू से लड़ते देख रही है। पति के लिए रो भी न सकीं थी कि उसे अब बेटी के लिए आंसू सुखाने पड़ गए। यह आलम उस बेचारी का है जो न सही से रो पा रही है न ही आंसुओं को छिपा पा रही है। युवक की स्वाइन फ्लू की मौत को आगरा प्रशासन पुष्टि भी नहीं कर सका वहीं उसका दूसरे प्रांत से स्वाइन फ्लू की पुष्टि का मैसेज भी आ गया। देर शाम बच्ची के परिजन सिटी के मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन और बुनियादी सुविधाएं न होने, और स्वास्थ्य में कोई सुधार न होने के कारण पेशेंट को लेकर जयपुर रवाना हो गए।

झोलाझाप ने बिगाड़ा काम

तेहरा गांव निवासी तारा सिंह के मात्र 24 वर्षीय पुत्र विष्णु को काफी दिनों से जुखाम था, जिसे नॉर्मल समझकर टाल दिया जाता रहा। जब काफी तेज बुखार और पसलियों में दर्द होने लगा तो घरवालों ने विष्णु को नामनेर स्थित एसआर हॉस्पिटल में 24 फरवरी को एडमिट कर दिया। इस दौरान उनके 25 हजार रुपये भी खर्च हो गए।

रात को बिगड़ी तबियत, लाना पड़ा एसएन

रात को जब विष्णु की तबियत ज्यादा बिगड़ गई तो उसे एसएन हॉस्पिटल में लाना पड़ गया। 25 फरवरी को सुबह नौ बजे एसएन मेडिसन डिपार्टमेंट में रैफर कर दिया गया। विष्णु के परिजनों का आरोप है कि एसएन के डॉक्टरों ने विष्णु की बिगड़ी तबियत को सीरियस नहीं समझा और उसे हल्के में लेते हुए टालने वाला ही उपचार दिया।

आगरा के एसएन के पास नहीं मिला उपचार

परिजनों के अनुसार विष्णु की जब शाम को तबियत और ज्यादा सीरियस हो गई तो विष्णु को जयपुर रैफर कर दिया गया। घबराए हुए परिजन उसे रात आठ बजे ही लेकर जयपुर पहुंच गए। जयपुर में दूसरे दिन गुरुवार को ही उसकी मृत्यु हो गई। मौत के बाद घर में अफरा-तफरी मच गई। तीन दिन के अंदर पति की अचानक हुई मौत से पत्नी दहशत में पहुंच गई। उसे यकीन ही नहीं हो रहा कि उसके पति को मात्र जुखाम ने छीन लिया है।

एक लाख खर्च फिर भी नतीजा नहीं

विष्णु के भाई शिवसिंह के अनुसार उन्होंने अपने भाई के लिए रुपये का मुंह नहीं देखा जिसने जिधर बताया तुरंत उधर ही दौड़ लगा दी। उसके बाद भी वह अपने भाई को बचाने में असफल ही रहे। किराया, डॉक्टरों की फीस और दवाइयों का खर्चा मिलाकर विष्णु पर एक लाख रुपये खर्च हो चुके थे। इतना पैसा न होने के कारण उन्होंने इसके लिए किसी रिश्तेदार से कर्ज लिया था।

बाकी में भी दहशत

सिटी में भी बिगड़ा मौसम सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। इससे अन्य लोगों में भी दहशत का माहौल है। वहीं एसएन मे एडमिट लोगों के अंदर भी स्वाइन फ्लू को लेकर काफी खौंफ है। एसएन में एडमिट लोगों का कहना है कि उन्हें न तो समय पर उपचार मिल रहा है न ही कोई देखभाल। सुबह से दोपहर का तीन बजे तक कोई भी उनकी उनको देखने तक नहीं पहुंचा था।

वर्जन

मुझे इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। इसके लिए आप डॉ। प्रियंका या फिर डॉ। आशीष से बात करें। फिलहाल मुझे जहां तक जानकारी है विष्णु की मौत हमारे यहां पर नहीं हुई वह लोग उसे किसी प्राइवेट में ले गए थे वहीं उसकी मौत हुई है।

डॉ। अजय अग्रवाल एसएन प्रिंसिपल