बरेली। हादसे में नवाबगंज के गांव बुखारपुरा में आठ श्रद्धालुओं की हुई मौत के बाद दोपहर तीन बजे एक साथ सभी शव गांव पहुंचे तो चीख पुकार मच गई। मृतकों के परिजन चारपाई लेकर अपने-अपने परिवारीजनों के शव लेने के लिए पहुंचे और शव लेकर घर पहुंचे। प्रशासन और ग्रामीणों ने मिलकर सभी शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी की और सभी शवों को श्मशान भूमि पर ले गए। जहां छह चिताओं पर आठ शवों का अंतिम संस्कार हुआ।


 

12 वर्षीय बेटे ने दी मुखाग्नि

बुखारपुरा गांव के श्मशान भूमि पर एक साथ जब छह चिता बनाई गई तो माखन लाल और उनके छोटे बेटे का शव एक ही चिता पर रखा गया। जिसके बाद उनके 12 वर्षीय बेटे आजाद ने ही मुखाग्नि दी, तो सभी की आंखे नम हो गईं। जबकि माखन लाल के बडे़ बेटे सोनू का शव देर से गांव पहुंचा तो उसके शव का अलग से अंतिम संस्कार किया गया।


मुआवजे को लेकर जताया विरोध

मृतकों के अंतिम संस्कार के बाद ग्राम प्रधान पति संतोष और जिला पंचायत सदस्य ने प्रशासन से की गई दो लाख के मुआवजे की घोषणा पर विरोध जताया। उनका कहना था कि जब शीशगढ़ में धार्मिक स्थल की मीनार गिरने से हुई मौत पर मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजा दिया गया तो, पूर्णागिरि हादसे में जान गवांने वालों के परिजनों को दो लाख रुपए क्यों दिया जा रहा है उन्हें भी चार लाख मुआवजा दिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि दो लाख मुआवजा दिया तो वह वापस करा देंगे।