-बारिश के कारण नाले का पानी ओवर फ्लो होकर झील में पहुंचा

- आक्सीजन कम होने से तड़प-तड़प कर मछलियों ने तोड़ा दम

-झील के पानी में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाने के लिए ओटू मैक्स डाला

KANPUR : सरकारी तंत्र की लापरवाही से शनिवार को जू में हजारों मछलियों ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। नगर निगम के नाले का जहरीला पानी मछलियों पर काल बनकर टूटा। मानसून की पहली बारिश का पानी 22 जून को गिरा जिसकी वजह से सीवेज नाला ओवर फ्लो हो गया और जू की झील में नाले का पानी पहुंच गया। इसकी वजह से धीरे-धीरे झील के पानी का ऑक्सीजन लेवल कम होता चला गया। शुक्रवार शाम तक झील में ऑक्सीजन का लेवल इतना कम हो गया कि मछलियों की मौत होने लगी। मछलियों के मरते ही जू में हड़कंप मच गया। भारी संख्या में मछलियों के मरने से जू में दुर्गध फैल गई। झील के पानी में हाइड्रोजन सल्फर ऑक्साइड, मीथेन गैस पहुंच गई जिसकी वजह से पानी में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई।

हजारों में पहुंच चुकी थी संख्या

जू डायरेक्टर दीपक कुमार ने बताया कि झील की साफ सफाई करके उसमें गंगा से सीधे पानी डाला जा रहा है। झील में सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ भी हैं। झील में जू प्रशासन ने काफी संख्या में मछली डलवाई थीं। बारिश के मौसम में मछली ब्रीडिंग करती हैं, जिसके कारण झील में छोटी-छोटी चिलवा व मांगुर मछलियां की संख्या हजारों में पहुंच चुकी थी। बीती 22 जून को सिटी की पहली बारिश हुई, जिसमें कि नाला ओवर फ्लो हुआ और गंदा पानी झील में पहुंच गया। पानी में ऑक्सीजन बढ़ाने और संक्रमण को रोकने के लिए ओटू मैक्स व टॉक्सीमार को डाला गया है।

हिरनों की जान पर न बन जाए

मछलियों के मरने से दुर्गन्ध के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया। सीवेज के पानी से कहीं कोई और संक्रमण न फैल जाए इसके लिए जू प्रशासन ने पोटैशियम परमैग्नेट नाले के एंट्री प्वाइंट व कई अन्य स्थानों पर डलवाया है ताकि कहीं बैक्टिरियल या फिर वायरल संक्रमण जू में न फैल जाए। यह संक्रमण हिरनों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। जू के सीनियर डॉक्टर यूसी श्रीवास्तव ने मछलियों का पोस्टमार्टम किया, जिसमें इस बात का खुलासा हो गया है कि पानी में ऑक्सीजन नहीं थी, जिसकी वजह से इनकी मौत हो गई।

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शेरों की जान भी नाले ने ली थी

जू की शेरनी लक्ष्मी और बब्बर शेर विष्णु को इसी नाले के पानी की वजह से संक्रमण हो गया था। यह दोनों लैप्टो स्पाइरा वायरस की चपेट में आ गए थे। जिसकी वजह से इनकी हालत बिगड़ने लगी थी। बाद में इन्हें इटावा की लायन सफारी में शिफ्ट कर दिया गया, जहां तीन महीने के अंदर ही दोनों की मौत हो गई थी। इसके बाद कमिश्नर कानपुर जोन ने अहम भूमिका निभाकर जू में गिरने वाले नाले को रोकने के दिशा निर्देश जारी किए थे।

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जू की झील में सीवेज नाले का पानी ओवर फ्लो करके आ गया है, जिसकी वजह से झील के पानी में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई। झील में चिलवा, मांगुर प्रजाति की हजारों मछलियां की मौत हो गई है। इस मैटर की जानकारी नगर निगम ऑफिसर्स को दे दी गई है। जब तक नाले का निर्माण नहीं हो जाएगा तब तक इसी तरह की मामले सामने आते रहेंगे।

-दीपक कुमार, जू डायरेक्टर।