मुंबई के डॉकयार्ड रोड इलाके में शुक्रवार की सुबह 5.45 बजे ढही पांच मंजिली इमारत में अब तक 25 लोग मारे जा चुके हैं. 32 घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. बहुत सारे लोगों के अभी मलबे में फंसे होने की आशंका है.

ख़तरनाक घोषित थी इमारत

मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, दक्षिण मुंबई स्थित यह इमारत करीब 33 वर्ष पुरानी थी. 28 कमरों वाली इस इमारत में मुंबई महानगरपालिका(मुनपा) के कर्मचारियों के 21 परिवार रहते थे. बरसात से पहले ही इस इमारत का निरीक्षण कर इसे ख़तरनाक घोषित किया गया था लेकिन इसमें रहनेवालों के लिए कोई वैकल्पिक स्थान नहीं उपलब्ध कराया गया था.

बांस-बल्लियां पर टिकी थी

इमारत के निवासियों का आरोप है कि बांस-बल्लियां लगाकर इमारत को टिकाए रखने के अस्थायी इंतजाम किए गए थे, लेकिन ठेकेदारों और अधिकारियों में तालमेल न बन पाने के कारण इसका पुनर्निर्माण नहीं हो पा रहा था. इमारत की ऊपरी चार मंजिलों पर लोग रहते थे, जबकि निचले तल पर स्थित गोदाम एक व्यक्ति को किराये पर दिया हुआ था.

बच्ची का जोर-शोर से स्वागत  

दमकल विभाग की कई गाडिय़ां एवं राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल (एनडीआरएफ) की टीमें लोगों को निकालने का प्रयास कर रही हैं. खबर लिखे जाने तक 20 से अधिक लोग जिंदा निकाले गए थे. इसमें पांच साल की एक बच्ची भाग्यश्री कांबले भी थी. दोपहर बाद करीब एक बजे रोते हुए वह मलबे से निकली. उसके सकुशल निकलने पर वहां खुशी की लहर दौड़ पड़ी. वहां जुटे लोगों ने उसका ताली बजाकर स्वागत किया. उसके शरीर पर धूल के अलावा कोई बड़ी चोट नहीं नहीं लगी थी. उसे भी अस्पताल ले जाया गया. सभी घायलों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है.

दो लाख रुपये मुआवजा

मुंबई के महापौर सुनील प्रभु ने मृतकों के आश्रितों के लिए दो लाख रुपये मुआवजा घोषित किया है और घायलों के इलाज का खर्च भी उठाने का आश्वासन दिया है. दक्षिण मुंबई में पुरानी इमारतें बहुत हैं. बारिश से इनकी दीवारें कमजोर होती रहती हैं. बारिश रुकने पर कड़ी धूप से इनकी दीवारों में पड़ी दरारें चौड़ी हो जाती हैं. फिर बारिश होने पर जब पानी इन दरारों में भरता है तो कमजोर इमारतें भरभरा कर गिर पड़ती हैं. मुंबई में ऐसे हादसे लगभग हर साल होते हैं. मुंबई में 950 इमारतें ख़तरनाक एवं 111 इमारतें अति ख़तरनाक घोषित की जा चुकी हैं. इसके बावजूद इनमें लोग रह रहे हैं.

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