ALLAHABAD: लगातार एक के बाद एक हो रहे रेल हादसों से कई सवाल उठ रहे हैं। पंद्रह दिन में दो बड़े हादसे हुए हैं। आखिर ये हादसे क्यों हो रहे हैं? रेलवे के सिस्टम में क्या खामियां हैं? इन सवालों के साथ मंडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन के ड्राइवर्स और असिस्टेंट ड्राइवर्स के बीच डिबेट कराई।

 

नार्थ सेंट्रल रेलवे मेन्स यूनियन के हेड ऑफिस में ड्राइवर्स ने बताया कि उन्हें 24 से 48 घंटे तक लगातार काम करना पड़ता है। इसके बाद भी अधिकारी की शाबासी नहीं बल्कि फटकार मिलती है। इससे वे काफी निराश होते हैं। यही वजह है कि इस समय कई ड्राइवर्स डिपे्रशन और तनाव के शिकार हैं।

 

बातें जो सामने आई

इंजन में अत्यधिक आवाज से होती है काफी दिक्कत

कुछ इंजन में एसी लगे हैं, लेकिन काम नहीं करते हैं

जिनमें एसी नहीं लगे हैं, उनमें पंखे भी नहीं चलते हैं

अंदर का वातावरण इतना गर्म होता है कि लगता है उबल जाएंगे

 

जब मालगाड़ी कहीं 24 घंटे के लिए खड़ी होती है तो उसे स्टार्ट करने से पहले चेक किया जाता है। डीडीआर गार्ड और ड्राइवर करते हैं। लेकिन अधिकतर होता यही है कि गार्ड नहीं आता और उसकी जगह पोर्टर भेज दिया जाता है। पोर्टर डीडीआर को चेक कर फीट देने का अधिकारी नहीं है। ऐसे में ड्राइवर पर दबाव बनाकर टीएसआर स्टॉफ को फीट रिपोर्ट दिलवाई जाती है।

आशुतोष सिंह

 

गुड्स ड्राइवर से मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें चलवाई जा रही हैं। असिस्टेंट लोको पायलट से शंटिंग पायलट का काम लिया जा रहा है। प्रमोशन होल्डअप किया गया है। ड्राइवरों से जबर्दस्ती काम कराया जा रहा है।

अरुण कुमार

 

12 घंटे काम लेंगे। पहले बुला लेंगे। चार घंटे यूं ही बैठाएंगे। ड्राइवर ने मालगाड़ी का चार्ज ले लिया तो उसे बैठा दिया जाता है, कहा जाता है कि अभी मेल व एक्सप्रेस ट्रेन जा रही है। सिग्नल थ्रू मिलने पर रवाना करेंगे। चार घंटे में ड्राइवर की वापसी का नियम है। लेकिन जब इसमें कुछ मिनट बचे रहेंगे तभी सिग्नल देकर गाड़ी रवाना कर दी जाती है। चार घंटे जग कर बैठने पर ड्राइवर वैसे ही शिथिल हो जाते हैं फ्रेशनेस खत्म हो जाती है।

वीरेंद्र सिंह

 

क्या ये जरूरी है कि 12 घंटे काम करें। नियम बना लिया है कि ड्राइवर को चार घंटे पहले बुलाएंगे। चार घंटे से पहले इलाहाबाद से मालगाड़ी डिपार्चर के लिए नहीं भेजी जाती है।

जय सिंह

 

लोको खराब है। लोको अगर बेहतर रहे तो अच्छी क्षमता से काम कर सकते हैं। कर्मचारी खुद को फ्रेश महसूस कर सकेंगे। चार घंटे कर्मचारी जब फुल एनर्जी में होता है तो उसे यूं ही लॉस कर दिया जाता है। जब वे थकान महसूस करने लगते हैं तो ट्रेन थमा दी जाती है और फिर 15-15 घंटे तक आराम नहीं करने दिया जाता।

महेंद्र पासवान

 

ड्राइवर से दस घंटे ड्यूटी का नियम है। नियम है कि जहां उसके दस घंटे पूरे हों वहीं ट्रेन खड़ी कर चला जाए। लेकिन इसे कभी फॉलो नहीं किया जाता। इसका असर वर्किंग पर, सेफ्टी पर और ड्राइवरों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।

आरडी यादव, महामंत्री

एनसीआर मेन्स यूनियन

 

फैक्ट फाइल

2486

पद हैं एनसीआर में ड्राइवर्स के

915

ड्राइवर्स के पद इस समय एनसीआर में खाली पड़े हैं

286

पद हैं एनसीआर में टर्नल, ईटी और शंटर के

137

पद खाली हैं इस समय एनसीआर में टर्नल, ईटी और शंटर के

2000

पद हैं एनसीआर में डीजल इलेक्ट्रिक असिस्टेंट के

225

पद खाली हैं एनसीआर में डीजल इलेक्ट्रिक असिस्टेंट के

161

पद हैं एनसीआर में लोको इंस्पेक्टर के

40

पद खाली हैं इस समय एनसीआर में लोको इंस्पेक्टर के