-स्कूल गोइंग छात्राओं ने कहा, प्रेशर डालकर कोई बात मनवाना गलत

-छात्राओं को मिलनी चाहिए सलवार कुर्ता या स्कर्ट-शर्ट पहनने की आजादी

-टीचर्स ने कहा, ड्रेस वही बेहतर जिसमें छात्रा कम्फर्ट फील करे

<-स्कूल गोइंग छात्राओं ने कहा, प्रेशर डालकर कोई बात मनवाना गलत

-छात्राओं को मिलनी चाहिए सलवार कुर्ता या स्कर्ट-शर्ट पहनने की आजादी

-टीचर्स ने कहा, ड्रेस वही बेहतर जिसमें छात्रा कम्फर्ट फील करे

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: स्कूल गोइंग छात्राओं के लिए ड्रेस कोड से स्कर्ट को हटा दिया जाना चाहिए? यह एक बार फिर बहस का मुद्दा बन गया है। हाइ कोर्ट का फैसला नहीं आया था जब तक इस मुद्दे पर अपनी राय रखने में छात्राएं भले ही हिचकिचाती रही हों। लेकिन, अब जबकि हाइ कोर्ट ने इस पर सवाल खड़ा करने वालों को अपनी सोच बदलने की हिदायत दे दी, तो ग‌र्ल्स के भी हौसले बुलंद हो गए हैं। आई नेक्स्ट ने इस पर इनीशिएटिव लेते हुए बाल भारती स्कूल की छात्राओं और टीचर्स के बीच प्रिंसिपल की मौजूदगी में डिबेट कराई। इसमें छात्राओं ने खुलकर कहा, किसी भी चीज को कंपल्सरी नहीं करना चाहिए। कुछ बच्चों को स्कर्ट में कंफर्ट मिलता है तो कुछ को सलवार कुर्ता में। स्कूल में कौन सा ड्रेस कोड चलना है यह फैसला पैरेंट्स व स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन पर छोड़ देना चाहिए। बाकियों की इसमें क्या जरूरत है। ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स ने स्कूल यूनीफार्म में सलवार कुर्ता को कंपल्सरी करने का कड़ा विरोध किया और कहा कि हम ही निशाने पर क्यों है। सामनेवाले को भी बदलना चाहिए।

अचानक बदलाव से होगी दिक्कत

स्कूल ड्रेस कोड में बदलाव को लेकर हुई डिबेट पर ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स के विचार अलग-अलग रहे। लेकिन, इसे कंपल्सरी करने का सबने एक साथ विरोध किया। क्लास ट्वेल्थ की स्टूडेंट पूजा उपाध्याय ने कहा कि किसी भी चीज को इस तरह कंपल्सरी नहीं करना चाहिए। ये हमारा अधिकार है कि हम क्या पहनें। अगर हमें स्कूल यूनीफार्म में स्कर्ट पहनने में सुविधा होती है तो वहीं पहनेंगे। जिन्हें सलवार कुर्ता पहनने में आराम महसूस होता है उनके लिए वही सही है। ऐसे मामलों में जबरन कोई बात करना गलत है। स्कूल में ही कई ग‌र्ल्स को सलवार कुर्ता पहनने में प्रॉब्लम होती है। तो उन्हें जबरन इसके लिए प्रेशर नहीं डाला जाना चाहिए। किसी को प्रॉब्लम है तो यह उनकी प्राब्लम है। इसका साल्यूशन वे खुद खोजें। अपनी गंदी सोच का परिणाम भुगतने पर हमें मजबूर क्यों किया जाएगा। ग‌र्ल्स को इतनी आजादी तो मिलनी ही चाहिए, कि उन्हें जो अच्छा लगे और जिसमें उनकी प्रजेंस अच्छी साबित हो, वह उसे ही पहनें।

कंपल्सरी कहने वाले भी रहे मौजूद

डिबेट के दौरान कई ग‌र्ल्स ने सीनियर क्लासेज में ड्रेस कोड में बदलाव किए जाने को सही बताया। आरती मिश्र ने कहा कि सलवार कुर्ता पहनना हमारे कल्चर में है। इसका फायदा गर्मी व विंटर दोनों सीजन में होता है। कई बार रोड पर साइकिल या स्कूटी चलाते समय स्कर्ट पहनने पर ग‌र्ल्स को प्रॉब्लम होती है। कई बार ये एक्सीडेंट का कारण भी बनता है। ऐसे में अगर सलवार कुर्ता को प्राथमिकता दी जाती है तो ग‌र्ल्स के लिए यह काफी हद तक सही होगा। लेकिन, इसके लिए स्कूल व बच्चों के पैरेंट्स को मिलकर बात करनी होगी। किसी दूसरे के आर्डर पर ऐसा कंपल्सरी करना गलत है। स्कूल के ट्वेल्थ क्लास की स्टूडेंट विदिशा की राय भी कुछ ऐसी ही थी। अपनी बात को जोरदार तरीके से रखते हुए उन्होंने कहा कि सलवार कुर्ता को सीनियर क्लास में कंपल्सरी करना ही चाहिए। क्योकि, स्कर्ट के मुकाबले इसको पहना ज्यादा कंफर्टेबल होता है। सेफ्टी के हिसाब से भी ये ज्यादा सही है।

टीचर्स की राय में भी दिखा अलगाव

स्कूल में ग‌र्ल्स के ड्रेस कोड पर हुए डिबेट में बच्चों के साथ ही टीचर्स की राय भी आपस में जुदा थी। कई टीचर्स का कहना था कि इस बात की जरूरत है कि हम ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को सही और गलत की पहचान करना बताएं। स्कूल ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स के लिए रूल बनाते हैं कि वे स्कर्ट पहनें तो उसकी लंबाई घुटने के नीचे रहे। लेकिन, कई बार देखा जाता है कि इसको फॉलो नहीं किया जाता है। पैरेंट्स भी इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते। इससे कई बार ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। ऐसे में अगर सीनियर क्लासेज में सलवार कुर्ता को ड्रेस कोड के रूप में लागू किया जाता है तो ये काफी हद तक सही भी है। शालीन लुक भी देता है और ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को भी ये कंफर्टेबल रखता है। वैसे कई टीचर्स की राय इससे अलग थी। उन्होंने कहा कि स्कूल ड्रेस कोड का मामला पूरी तरह से स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन और पैरेंट्स के बीच का है। ग‌र्ल्स को भी इसकी आजादी मिलनी चाहिए कि वे क्या पहनना चाहती हैं। उन्हें आजादी देते समय बस इतना ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए कि यह उन्हें किसी मुसीबत में न डाल दे। पब्लिक प्लेस पर ट्रेवल करते समय उन्हें विशेष एलर्ट रहना चाहिए।

याचिका कर्ता ने क्या कहा

-प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने दाखिल की थी हाइ कोर्ट में याचिका।

-कहा था, स्कूलों में छात्राओं के लिए अनुमन्य ड्रेस स्कर्ट उचित नहीं है।

-सपोर्ट में में उन्होंने एक इंग्लिश मीडियम स्कूल की ग्रुप फोटो भी लगाई गई थी, जिसमें छात्राएं स्कर्ट पहनकर समूह में बैठी थी।

-याचिका में मानव संसाधन मंत्रालय को पक्षकार बनाते हुए मांग की गई थी कि लड़कियों के स्कूल ड्रेस में स्कर्ट पर प्रतिबंध लगाया जाए।

कोर्ट ने क्या कहा

-जरूरत ड्रेस कोड नहीं लोगों का नजरिया बदलने की है।

-इस प्रकार की याचिकाएं न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

-ड्रेस कोड निर्धारित करने वाली संस्थाओं को लगता है कि यह उचित है तो फिर इसे बदले जाने का कोई औचित्य नहीं है।

-हाइ कोर्ट के चीफ जस्टिस वाईवी चन्द्रचूड़ और दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने ऐसी याचिकाओं कोअनुचित करार देते हुए खारिज कर दिया।

-आज के समय में कम्फर्ट का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए। ड्रेस तय करते समय देखना चाहिए कि वह छात्राओं को बोझ न लगे। कोई भी चीज कंपल्सरी करना तो गलत है।

-रुशाली टंडन

-हाई कोर्ट ने हमारी दिल की बात कही है। कंपल्सरी शब्द का इस्तेमाल ही क्यों? नियम ऐसे होने चाहिए जिसे फॉलो करने के दौरान हमें यह कतई फील न हो कि बोझ लाद दिया गया है।

हिबा शलाह

-मैं ये बिल्कुल नहीं कहती कि स्कर्ट बेहद कम्फर्टेबल ड्रेस है और इसे ही ड्रेस कोड में रखना चाहिए। लेकिन, यह हमारी इच्छा पर निर्भर होना चाहिए। हम भी तो माहौल को समझते हैं।

शतान्या गुप्ता

-स्कूल के लिए तो ड्रेस कोड होना ही चाहिए। वैसे मुझे सलवार कुर्ता ज्यादा पसंद है। स्कर्ट पहनकर साइकिल या स्कूटी ड्राइव करते समय कई बार आड सिचुएशन क्रिएट हो जाती है।

खालीदा नूरी

-लोगों को ग‌र्ल्स के स्कूल ड्रेस तय करने से पहले अपनी सोच बदलने की जरूरत है। सोच में खोट नहीं है तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि लड़की ने पहन क्या रखा है।

वंशीका शुक्ला

-लोग सोचते हैं कि स्कर्ट पहनने वाली लड़कियों के साथ ईव टीजिंग होती तो यह गलत है। सलवार कुर्ता पहनने वाली ग‌र्ल्स को भी ऐसी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। इसलिए लोगों का नजरिया बदलना जरूरी है।

पूजा उपाध्याय

-मेरे हिसाब से ड्रेस कोट होना चाहिए और वह भी सलवार कुर्ता। यह कम्फर्टेबल भी है, शरीर को धूप की किरणों से बचाता है और लोगों की गंदी नजर से भी बचाता है।

विदिशा राज श्रीवास्तव

-ये हमारे कल्चर का हिस्सा है। अभी इसे लागू किया गया तो आगे ग‌र्ल्स को इसे एक्सेप्ट करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

नसरीन बानो

-स्कर्ट की हिमायती मैं भी नहीं हूं। मेरा मानना है कि सलवार कुर्ता समर व विंटर दोनों ही सीजन में आरामदायक होता है। इसलिए इसे लागू करने में कोई बुराई नहीं है।

आरती मिश्रा

-स्कूल ड्रेस में बदलाव को कंपल्सरी करने से पहले पैरेंट्स व बच्चों की राय एवं उनकी सुविधाओं के बारे में भी जान लेना चाहिए। ऐसा नहीं होता तो इक्वलिटी कहां रही। फिर तो एक की सोच को दूसरा जबरन ढोएगा। बेहतर होगा कि स्कर्ट पर पाबंदी की मांग करने वाले अपना नजरिया बदलें। सबकुछ खुद ही सामान्य हो जाएगा।

जरीना खान,

-ऐसे किसी भी चीज को कंपल्सरी करना सही नहीं है। लेकिन, कई बार स्कूल में भी ऐसी प्रॉब्लम अचानक सामने आ जाती है, जब स्कर्ट पहनने वाली ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को परेशानी महसूस होती है। ऐसे में इस बात का एहसास होता है कि इसे कंपल्सरी कर देना चाहिए।

देबाश्री भट्टाचार्य, टीचर

-यह हमारी सोसाइटी पर भी डिपेंड करता है कि जहां हम रह रहे है वहां का माहौल कैसा है। स्कर्ट पहने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, बच्चों को संस्कार के बारे में भी पता होना चाहिए। स्कर्ट यह फीलिंग नहीं दे सकता। सलवार कुर्ता काफी हद तक बच्चों को शालीनता महसूस कराने में मददगार साबित होता है।

पूनम मक्कड़

-किसी भी ड्रेस को कंपल्सरी करने की जरूरत नहीं है। लेकिन, पैरेंट्स इंश्योर करें कि बच्ची जो भी पहने वह डीसेंट हो। मेरी पर्सनल राय यह है कि जहां को एजुकेशन की व्यवस्था है वहां स्कर्ट पर पाबंदी लगाने में भी कोई बुराई नहीं है।

नीता चंदेल

प्रिंसिपल बाल भारती स्कूल