पंजीकृत व्यापारी ही कर सकेंगे सर्वाइव, आई नेक्स्ट के साथ व्यापारियों ने की चर्चा

कैट की मांग, एक देश, एक कर, एक प्राधिकरण के आधार पर लागू हो जीएसटी

ALLAHABAD: व्यापारी अभी तक जिस फार्मेट पर जिस एबीसीडी के साथ व्यापार करते चले आए हैं, अब उस फार्मेट को अलविदा कहते हुए नए अंदाज में नए तरीके से व्यापार करना होगा। क्योंकि राज्य सभा में पास होने के बाद गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी जैसे ही लागू होगा पूरे व्यापार जगत को बदल कर रख देगा। इसका लाभ भी होगा और नुकसान भी। फार्मेट में वही फिट बैठेगा और सर्वाइव कर पाएगा जो पंजीकृत होगा और नंबर वन तरीके से बिजनेस करेगा। बुधवार को राज्य सभा में जीएसटी बिल पास होने के बाद पूरे देश में मचे उथल-पुथल के बीच आईनेक्स्ट ने इलाहाबाद के व्यापारियों से चर्चा की तो कुछ इसी तरह की बातें निकल कर सामने आई।

32 से 18 परसेंट हो जाएगा टैक्स

चर्चा की शुरुआत भारत में चल रहे अब तक के अप्रत्यक्ष टैक्स के दायरे से हुई। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स यूपी ईस्ट के सचिव महेंद्र गोयल ने कहा कि विभिन्न राज्यों में टैक्स का अलग-अलग सिस्टम है। राज्यों में कस्टम, एक्साइज, वैट, इंट्री टैक्स आदि सभी टैक्सों को मिलाकर 32 से 35 परसेंट टैक्स व्यापारियों को जमा करना पड़ता है। वहीं कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां टैक्स का रेशियो 42 परसेंट है। जीएसटी लागू होने के बाद 32 से 35 और 42 परसेंट टैक्स घट कर 18 परसेंट पर सीमित हो जाएगा।

सर्विस टैक्स तो 15 से 18 परसेंट

महेंद्र गोयल के इस जवाब पर होटल व्यापारी सुमित केसरवानी ने कहा कि ये टोटल टैक्स तो कंपनियों से मैनयूफैक्चर सामानों पर लगता है। लेकिन इससे सर्विस टैक्स महंगा हो जाएगा। रेस्टोरेंट में खाना खाने पर जो अभी तक 15 परसेंट सर्विस टैक्स देता था, उसे 18 परसेंट जीएसटी देना होगा। इसके जवाब में महेंद्र गोयल ने कहा कि हां ये बात सही है। लेकिन कुछ रेस्टोरेंट व होटल सर्विस टैक्स के साथ वैट भी वसूलते हैं, जो चौदह परसेंट होता है। ऐसे में जीएसटी ही लाभ देगा।

खत्म हो जाएगा ऑफिस का चक्कर

बात शुरू हुई तो व्यापारियों ने कहा कि जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि वैट, डवलपमेंट टैक्स, कस्टम, एक्साइज, इंट्री टैक्स, चुंगी आदि सारे टैक्सों को जमा करने और ऑफिस दर ऑफिस भटकने के साथ वे हर विभाग में रिकार्ड मेंटेन करने के झंझट से मुक्त हो जाएंगे। जीएसटी भी दो लेवल में होगा। सेंट्रल जीएसटी और स्टेट जीएसटी। ये हर प्रोडक्ट पर लागू होगा।

160 देशों में लागू है

महेंद्र गोयल ने कहा कि जीएसटी विश्व के 160 देशों में लागू है। 1995 में वैट लागू करने से पहले राजा चिलैया की कमेटी बनी थी। उन्होंने वैट का समर्थन तो किया था, लेकिन वैट को रिकमंड करने के बाद अंतिम लाइन में लिखा था कि वैट का अंतिम प्रारूप जीएसटी होगा। आज जीएसटी पूरे देश में भले ही लागू होने जा रहा है, लेकिन इसका रिकमंडेशन 1995 में ही राजा चिलैया ने कर दिया था। कैट जीएसटी का समर्थन करता है, लेकिन मांग यही है कि एक देश, एक कर एक प्राधिकरण के आधार पर सिंगल जीएसटी लागू किया जाए।

बंद होगी ई-कामर्स की मनमानी

इलाहाबाद डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन के पदाधिकारी डीके केसरवानी व महेंद्र गोयल ने कहा कि जीएसटी लागू होने पर व्यापारी तो कर के दायरे में आएंगे ही ई-कॉमर्स भी जीएसटी के थ्रू ही गवर्न होगा। क्योंकि ई-कामर्स साइटों को भी एमआरपी पर ही टैक्स देना होगा। अभी तक ई कामर्स साइटें एमआरपी चाहे जितनी हो टैक्स बिलिंग पर ही देती थीं। इससे 100 परसेंट टैक्स चोरी बंद हो जाएगी। ई-कामर्स पर अंकुश लगेगा और फुटकर व्यापारियों को लाभ मिलेगा। टैक्स की चोरी कर ई-कामर्स साइटें जो सामान कम कीमत पर बेचती थीं, उनका रेट भी बढ़ेगा। अभी तक ज्यादातर ई-कामर्स कंपनियां सामानों की डिलेवरी तो पूरे देश में करती हैं, लेकिन बिलिंग उस राज्य से करती हैं, जहां टैक्स कम है।

वर्जन-

मौजूदा समय में व्यापारी टैक्स के बोझ से क्लर्क बन कर रह गया है। आधा महीना तो केवल रिकार्ड मेंटेन करने और फिर रिटर्न जमा करने में बीत जाता है। जीएसटी लागू होने से रिकार्ड मेंटेन करने के बोझ से राहत मिलेगी।

डीके केसरवानी

इलाहाबाद डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन

गवर्नमेंट ने जीएसटी में सभी तरह के टैक्सों को शामिल कर 18 परसेंट तक समेट तो दिया है, लेकिन मंडी टैक्स जीएसटी में शामिल नहीं है। व्यापारियों को जीएसटी जमा करने के बाद भी मंडी टैक्स देना पड़ेगा। इसे भी जीएसटी में शामिल करना चाहिए।

पीयूष अग्रवाल

किराना व्यापारी

जो लोग केवल सर्विस टैक्स जमा करते हैं, उनके लिए जीएसटी का आदेश महंगा साबित होगा। अभी तक सर्विस टैक्स 15 परसेंट लगता है। वहीं जीएसटी लागू होने के बाद सर्विस टैक्स भी 18 परसेंट पर पहुंच जाएगा।

रवि केसरवानी

इवेंट आर्गनाइजर

मेरा होटल का व्यापार है। इसके लिए अभी तक अलग-अलग टैक्स जमा करना पड़ता है। लग्जरी का अलग टैक्स लगता है, सर्विस टैक्स अलग है। वैट अलग। जीएसटी लागू होने से चार फाइलों को मेंटेन करने और चार जगह भागने के झंझट से छुटकारा मिलेगा।

सुमित केसरवानी

कैट पे्रसीडेंट, इलाहाबाद

जीएसटी लागू होने के बाद नए फाइनेंशियल ईयर में व्यापारियों को क्या करना होगा। अपने खातों को कैसे मेंटेन करना होगा। गवर्नमेंट को अभी से यह क्लीयर करना होगा।

शरद सिंघल

व्यापारी

जीएसटी का अगर सार देखा जाए तो यह शुद्ध रूप से पंजीकृत व्यापारियों के लिए सर्वाइवल है। जो भी व्यापारी सिस्टम को फॉलो करते हुए व्यापार करता है उसे जीएसटी लागू होने के बाद परेशान नहीं होना पड़ेगा। लेकिन कैट की यही मांग है कि एक देश, एक कर, एक प्राधिकरण के आधार पर सिंगल जीएसटी लागू किया जाए।

महेंद्र गोयल

कैट

आईटीआर में जुड़ेगा टैक्स

अभी तक होटल, रेस्टोरेंट या फिर मोबाइल का बिल भरने पर जो टैक्स जमा करते थे, वह आईटीआर में इंक्लूड नहीं होता था। लेकिन जीएसटी में ऐसा नहीं है। होटल रेस्टोरेंट या मोबाइल का बिल आईटीआर में इंक्लूड कर सकेंगे।

नंबर एक का करना होगा व्यापार

व्यापारी विभू अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद छोटे व्यापारियों को नुकसान होगा। जवाब देते हुए महेंद्र गोयल ने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। जो भी नंबर वन तरीके से व्यापार करेगा, उसे जीएसटी का लाभ मिलेगा। चाहे वह छोटा व्यापारी हो या फिर बड़ा। दो नंबर के काम को बंद कर एक नंबर में काम शुरू करना पड़ेगा। जो जितनी जल्दी दो नंबर को एक नंबर में कनवर्ट करेगा, उसे उतना ज्यादा फायदा होगा।

फैक्ट फाईल

190 पेज का है जीएसटी ड्रॉफ्ट

इसमे हैं 160 क्लॉज

25 चैप्टर

चार शिड्यूल में बंटी है रिपोर्ट

क्वाटर्ली फाइलिंग का ऑप्शन नहीं

अभी तक व्यापारी केवल वैट जमा करते चले आ रहे हैं। इसके लिए कुछ व्यापारी मंथली तो कुछ क्वाटर्ली टैक्स फाइलिंग करते हैं। जीएसटी में ये सिस्टम खत्म हो जाएगा और अमीर हो या फिर गरीब सभी को मंथली फाइलिंग करनी होगी। जो व्यापारी सभी काम मैनुअली करते थे, टैक्स जमा करते थे। उन्हें अब आनलाइन मोड में काम करना पड़ेगा।