-देहरादून में पिछले दो सालों में कई बडे़ प्रोजेक्ट बने

-प्रगति के नाम पर सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाई स्थिति

-कई प्रोजेक्ट शुरू हुए, लेकिन लग गया ब्रेक

>DEHRADUN:

एक ओर पूरा प्रदेश करीब ब्भ् हजार करोड़ के कर्ज में डूबा है, वहीं देहरादून में अरबों की योजना तैयार कर दी गई। दूसरी ओर यह प्रोजेक्ट मुंगेरीलाल के हसीन सपनों से कम नहीं हैं। क्योंकि प्रोजेक्ट बने जरूर, लेकिन काम केवल कागजों में ही हो रहा है। फिर चाहे वह देहरादून से हरिद्वार तक मेट्रो दौड़ाना हो या फिर दून से मसूरी तक रोप वे बनाना। अधिकारी ऐसे प्रोजेक्ट की संख्या लगातार बढ़ा रहे हैं।

प्रोजेक्ट बनाने में एमडीडीए सबसे आगे

ऐसे प्रोजेक्ट की बात करें तो एमडीडीए सबसे आगे हैं। एमडीडीए जहां विदेश की तर्ज पर रिवर फ्रंट योजना लेकर आया, वहीं देहरादून से हरिद्वार तक मेट्रो भी दौड़ा रहा है। हाल ही में एक और प्रोजेक्ट पर काम पूरा हुआ है, जिसमें सिटी में स्पेन की तर्ज पर पोड्स कार दौड़ने का प्रोजेक्ट भी पूरा किया गया है। यदि इनकी लागत देखें तो इसमें अकेला पोड्स प्रोजेक्ट ख्ख्00 करोड़ा का है। वहीं मेट्रो का आंकलन तक नहीं हुआ है।

जनता को धोखा देते हसीन प्रोजेक्ट

अधिकारी प्रोजेक्ट बनाकर लाखों रुपये उनके सर्वे पर खर्च कर देते हैं। कई बार एक सर्वे पूरा होने के बाद दूसरा सर्वे और फिर प्रोजेक्ट ही रिजेक्ट हो जाता है या फिर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। ऐसे में अधिकारी काम तो करते नजर आते हैं, लेकिन जनता को भी हसीन सपने दिखाकर धोखे में रखा जाता है।

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यह है बडे़ प्रोजेक्ट

-देहरादून से हरिद्वार ऋषिकेश तक मेट्रो प्रोजेक्ट, दो साल से केवल सर्वे तक सिमटी कार्रवाई

-देहरादून में स्पेन की तर्ज पर पोड्स कार चलाने का प्रोजेक्ट, खर्च ख्ख्00 करोड़

-देहरादून से मसूरी तक रोप वे, कई सालों से अटका प्रोजेक्ट

-घंटाघर के नीचे सब-वे बनाने का प्रोजेक्ट

-रिस्पना, बिंदाल रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, उद्घाटन हुआ, लेकिन पांच साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट

-हाल ही में देहरादून के क्0 चौराहों का फ्लाईओवर बनाने के लिए चयन

-चार सालों में पूरा नहीं हो सका दून-हरिद्वार फोर लेन हाईवे