- जगमोहन यादव की रैतिक परेड की तैयारियां पूरी

- नये डीजीपी को लेकर असमंजस बरकरार

LUCKNOW: मौजूदा सरकार के आठवें डीजीपी का फैसला गुरुवार को होगा। अगला डीजीपी कौन होगा, इसे लेकर सुबह से चर्चा का बाजार गर्म रहा। गुरुवार को मौजूदा डीजीपी की विदाई से पहले रैतिक परेड का आयोजन किया गया है। शाम को हाई-टी के बाद सूबे के नये डीजीपी के नाम का ऐलान हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार किस पर भरोसा जताती है।

यह हैं रेस में

डीजीपी की रेस में कई दावेदार हैं। डीजीपी बनने के प्रबल दावेदारों में भर्ती बोर्ड के चेयरमैन वीके गुप्ता, डीजी सीबीसीआईडी प्रवीण सिंह व डीजी रेलवे जावीद अहमद शामिल है। वीके गुप्ता ने हाल ही में प्रदेश में 35 हजार सिपाहियों की सीधी भर्ती की प्रक्रिया को शुरू किए जाने का ऐलान कर अपने नंबर बढ़ा लिए है। वहीं प्रवीण सिंह भी इस लिस्ट में मजबूत दावेदार बताये जा रहे हैं। नये डीजीपी के चयन को लेकर मची उहापोह के बीच नजरें आगामी 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर भी टिकी है। राज्य सरकार ने हाल ही में केन्द्र को पत्र लिखकर पूछा है कि प्रदेश में दो साल के लिए डीजीपी की तैनाती के बाबत वह दिशा-निर्देश दे। इसे देखते हुए अंतिम दौर में सरकार कोई अप्रत्याशित ऐलान भी कर सकती है।

सीनियर्टी में रंजन द्विवेदी सबसे आगे

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक यदि राज्य सरकार सीनियर्टी के आधार पर डीजीपी का चयन करती है तो डीजी होमगार्ड रंजन द्विवेदी फायदे में रहेंगे। रंजन द्विवेदी अगले साल अप्रैल में रिटायर होने वाले हैं। बदले हालात में उन्हें डेढ़ साल का अतिरिक्त कार्यकाल भी मिल जाएगा। इस फेहरिस्त में सुलखान सिंह का नाम भी शामिल हैं लेकिन उन्हें बसपा का करीबी माना जाता है। ऐसी ही चर्चा एके जैन को लेकर भी थी लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उन्हें न केवल डीजीपी की कुर्सी पर बैठाया बल्कि तीन महीने को एक्सटेंशन भी दिया।

सबसे कद्दावर रहे जगमोहन यादव

प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद भले ही आठ डीजीपी बने हो लेकिन जगमोहन यादव इनमें सबसे कद्दावर साबित हुए। सरकार बनने के चार दिन बाद उन्हें प्रदेश का एडीजी लॉ एंड आर्डर बनाया गया। एडीजी बनने के बाद तत्कालीन डीजीपी एसी शर्मा से इनकी अदावत जगजाहिर थी। इसका नुकसान जगमोहन यादव को हुआ और राज्य सरकार ने उन्हें हटा दिया। इसके दो दिन बाद तक एडीजी लॉ एंड आर्डर के पद पर किसी भी अधिकारी की तैनाती नहीं हुई। जगमोहन यादव का ट्रांसफर आर्डर दो दिन बाद जारी किया गया। बाद में उन्हें एडीजी जेल के पद पर भेजा गया लेकिन तत्कालीन जेल मंत्री बलराम यादव से उनकी नहीं बनी। सीबीसीआईडी में रहते हुए भी विवादों में रहे। रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाये जाने के मामले में उन्होंने तत्कालीन डीजीपी एके जैन के खिलाफ ही अभियोजन स्वीकृति मांग ली। इसे जगमोहन यादव के रसूख का असर ही कहेंगे कि एएल बनर्जी के रिटायर होने से चंद घंटों पहले केन्द्र सरकार ने आईपीएस कैडर रिव्यू कर दिया। आनन-फानन में जगमोहन यादव को डीजी बनाने के लिए डीपीसी हुई। इसके बावजूद ऐन मौके पर उन्हें डीजीपी न बनाकर यह ताज एके गुप्त को पहना दिया गया। चर्चा है कि बतौर डीजीपी जगमोहन यादव का कार्यकाल घटाने के लिए यह कवायद की गयी थी। एक माह बाद एके गुप्ता सेवानिवृत्त हो गये और जगमोहन यादव को अगला डीजीपी बनाये जाने के दावे होने लगे। प्रदेश सरकार ने एक बार अप्रत्याशित कदम उठाया और बसपा के करीबी माने जाने वाले एके जैन को डीजीपी बना दिया। राज्य सरकार ने उन्हें तीन माह का एक्सटेंशन भी दिलाया। 30 जून को एके जैन के रिटायर होने के बाद जगमोहन यादव की ताजपोशी हुई। सेवानिवृत्त होने से पहले उनके कार्यकाल को दो साल किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गयी पीआईएल ने एक बार फिर उन्हें चर्चा में ला दिया।