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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज (इलाहाबाद) जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती रेखा सिंह की याचिका पर दोनों पक्षों की बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है। याचिका में याची के खिलाफ लाये गये अविस्वास प्रस्ताव पर मतदान में वोटों की गोपनीयता भंग करने के आधार पर पूरी प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गयी है।

समर्थकों को वोट डालने से रोका

यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खण्डपीठ ने दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता टीपी सिंह, एमडी सिंह शेखर, विपक्षी श्रीमती केशरी देवी पटेल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रविकान्त, शशिनन्दन, डीबी सिंह व प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की। इससे पहले कोर्ट ने अविस्वास प्रस्ताव पर मतदान की गोपनीयता भंग करने की शिकायत पर उस दौरान की वीडियो मंगा कर देखी थी। याची का कहना है कि उसके समर्थक सदस्यों को वोट डालने से रोका गया और विरोध में वोट देने वालों ने वोट डालने से पहले पूर्व अध्यक्ष को मतपत्र दिखाकर वोट डाला। ऐसा करना नियमों के विपरीत है। मतदान प्रक्रिया का उल्लंघन है।

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बायोलॉजी के विज्ञापित पद वापस लेने की वैधता को चुनौती

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग की जून 2016 की अध्यापक भर्ती विज्ञापन से बायोलॉजी विषय के 304 पदों के विज्ञापन वापस लेने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार व आयोग से जानकारी मांगी है। याचिका की सुनवाई 14 फरवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने इलाहाबाद के राजबहादुर व 10 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आलोक मिश्र ने बहस की। याची का कहना है कि विज्ञापन में बायोलॉजी विषय के अध्यापकों को शामिल किया गया। बाद में पद न होने के आधार पर विज्ञापित पद वापस ले लिए गये। याची का कहना है कि बायोलॉजी एक विषय है। इसे पढ़ाने के लिए अध्यापकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। किन्तु सरकार ने बायोलॉजी विषय के अध्यापक का पद स्वीकृत नहीं किया है। पद को विज्ञापित कर हटा लेना चयन प्रक्रिया को दूषित करना है। कोर्ट से विज्ञापित पदों की भर्ती का समादेश जारी करने की मांग की गयी है।