आगरा। आगरा की वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। जहां तक आगरा के उद्योगों पर लगी तदर्थ रोक के संबंध में फैसला एक-डेढ़ महीने में लिया जाएगा। ये कहना था भारत सरकार के वन व पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा का। बुधवार को कमिश्नरी में आयोजित टीटीजेड की मीटिंग में तीन कैटेगरीज के उद्योगों पर लगी तदर्थ रोक को लेकर विचार-विमर्श किया गया।

कठिनाई से गुजर रहे श्रमिक

मीटिंग में आगरा के सांसद डॉ। रामशंकर कठेरिया ने कहा कि तीन कैटेगरीज के उद्योगों पर तदर्थ रोक लगने से आगरा के चार लाख श्रमिक कठिनाई के दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण सचिव के सामने नए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए गैर वायु प्रदूषणकारी उद्योगों को बढ़ावा देने वाली नीति अपनाने वाली बात कही।

टेनरी की जरूरत

मीटिंग में जूता उद्यमी पूरन डाबर ने कहा कि जूता उद्योग प्रदूषण नहीं कर रहा है। आगरा में कोई टेनरी नहीं है। आगरा डवलपमेन्ट फाउंडेशन की ओर से सचिव केसी जैन द्वारा यह बात रखी गई कि वायु प्रदूषण घटाने के लिए हरियाली आवश्यक है। आगरा में यह ग्रीन कवर मात्र 6-7 प्रतिशत ही है जो कि 33 प्रतिशत होना चाहिए। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा भी निजी भूमि पर ट्री-फार्मिंग व एग्रो-फॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने को कहा गया है।

पूर्व मंत्री ने किया समर्थन

इस दौरान लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गर्ग ने भी अपने विचार रखे। मीटिंग में पूर्व विधायक केशो मेहरा, व पर्यावरण इंजीनियर उमेश चंद शर्मा ने तदर्थ रोक को समाप्त करने की बात कही। पूर्व विधायक मंत्री अरिदमन सिंह ने भी इसका समर्थन किया। मीटिंग में कमिश्नर के। राम मोहन राव के अलावा अन्य उद्यमी और एडीए उपाध्यक्ष, राधेश्याम समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

उद्यमियों ने दिए सुझाव

इस दौरान मीटिंग में मौजूद उद्यमियों ने कई सुझाव दिए। इनको ध्यानपूर्वक सुना गया। आपको बता दें कि आठ सितंबर 2016 को पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा, भरतपुर के उद्योगों की स्थापना व विस्तार पर रोक लगा रखी है।