पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारी नारायण राव ने शुक्रवार को कोयला घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम घसीटते हुए विशेष अदालत में कहा कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन का फैसला उनके (मनमोहन के) कार्यालय द्वारा किया गया था. उस समय उनके पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था.  राव इस मामले में खुद भी एक आरोपी हैं.

राव की ओर से पेश वकील ने उनके लिए जमानत की मांग करते हुए विशेष सीबीआइ जज भरत पराशर के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल का नवीन जिंदल समूह की कंपनियों को झारखंड में अमरकोंडा मुर्गदंगल कोयला ब्लॉक आवंटन से कोई लेना-देना नहीं है. आवंटन के बारे में अंतिम फैसला कोयला मंत्री ने लिया था, जो उस समय के प्रधानमंत्री भी थे. कोयला राज्य मंत्री के रूप में राव ने सिर्फ नोट्स को आगे बढ़ाया.

 

इसी तरह पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता ने जमानत मांगते हुए कहा कि जांच समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने सिर्फ सिफारिशों को कोयला मंत्री के पास भेजा. गुप्ता के वकील ने कहा कि जांच समिति के अध्यक्ष के रूप में गुप्ता को सिर्फ सिफारिशें कोयला मंत्री को भेजनी थीं, जो उस समय प्रधानमंत्री थे. जांच समिति सिर्फ सिफारिश भेजने वाला निकाय है.

मामले दस को जमानत

अदालत ने इस मामले में दस आरोपियों की जमानत याचिका पर बहस की सुनवाई के बाद उन्हें एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके व इतनी ही राशि की गारंटी के बाद जमानत दे दी. पूर्व कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल, पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारी नारायण राव, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और अन्य सात इनमें शामिल हैं.

मनमोहन सिंह को भेजा था समन

विशेष अदालत ने इससे पहले मनमोहन सिंह को कोयला आवंटन घोटाले में आरोपी के रूप में समन जारी था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस समन आदेश पर रोक लगा दी थी.

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