साइबर कैफे संचालक और जानकार के साथ कॉलेज ऑनर की सांठगाठ

छात्रों की जानकारी के बिना ही साइबर कैफे संचालक भर रहे कॉलेज कोड

पूल काउंसिलिंग में चल रहा मोटे कमीशन का खेल

केस-1

पहले ही भर दिया फॉर्म

दिल्ली रोड निवासी आरती शर्मा ने बताया कि उसे अपना कॉलेज कोड भरना था, लेकिन जब उसने कॉलेज कोड भरने के लिए अपनी आईडी खोली तो देखा पहले से ही उसका फॉर्म किसी ने फिल कर दिया है। अब उसे उनमें से ही मजबूरन किसी कॉलेज में मोटी फीस देकर पढ़ना होगा।

केस-2

बिना जानकारी के भरा कोड

रजबन निवासी स्नेहा सिंह ने बताया कि पूल काउंसिलिंग में फीस जमा करने के बाद जब उन्होनें अगले दिन कोड भरना चाहा तो पता लगा कि उनका कोड तो पहले ही किसी ने भर दिया है। अब वो ये देखकर हैरान है कि कैसे उनका कोड भरा गया है।

Meerut । ये तो कॉलेजों के कोड भरने के महज दो ही केस है, पर ऐसे कई छात्र हैं, जिनके साथ गड़बड़ी हो रही है। ऐसे में वो परेशान है। बीएड एडमिशन में इन दिनों प्राइवेट कॉलेजों की बड़ी धांधलेबाजी चल रही है। दरअसल, आपकी एक छोटी सी भी चूक मुश्किलों में डाल सकती है। इसलिए न ही किसी को अपना आईडी व पासवर्ड शेयर करें न ही किसी जानकार व साइबर कैफे संचालक से फार्म भरवाएं।

ऐसे चलता है खेल

- अक्सर छात्र रजिस्ट्रेशन के लिए साइबर कैफे संचालकों का सहारा लेते हैं।

- साइबर कैफे संचालक छात्रों से आईडी और पासवर्ड किसी बहाने पूछ लेते हैं।

- इसके बाद छात्रों की जानकारी के बिना ही साइबर कैफे संचालक कॉलेज कोड भर देते हैं।

- दरअसल, कॉलेज ऑनर और साइबर कैफे संचालकों के बीच सांठगांठ होती है।

- बाद में स्टूडेंट्स कॉलेज कोड भरने के लिए दोबारा से आईडी खोलते है तो वह पहले से ही फिल नजर आता है।

- इस गोलमाल के चलते कई स्टूडेंट्स परेशान हो रहे हैं।

- कई जानकार भी किसी भी कॉलेज में एडमिशन कर मोटा कमीशन वसूल रहे हैं।

मोटे कमीशन का खेल

- साइबर कैफे संचालकों व जानकारों की कॉलेजों से मोटा कमीशन मिलने की सेटिंग होती है।

- कुछ यूनिवर्सिटी स्तर के कर्मचारी भी इनवॉल्व होते हैं जो सांठगांठ कर स्टूडेंट्स का डेटा लिंक कर रहे हैं।

- पहले तो छात्रों को फीस कम करने का झूठा वादा किया जाता है, लेकिन जब छात्र एडमिशन ले लेते हैं तो उनसे मनमाफिक फीस वसूली जाती है।

- कॉलेज रिजल्ट रोकने, प्रैक्टिकल न कराने व तरह- तरह के पेंच फंसाकर मोटी फीस वसूलते हैं।

- ऐसे में जो बीएड 60 हजार रूपये में होनी है वो दो लाख रुपए तक में होती है।

ऐसे बरतें सावधानी

- आपके पास जब कॉलेज एसेप्ट करने के लिए वेरिफिकेशन मैसेज या मेल आए तो उसे एसेप्ट न करें।

- इससे आपकी फीस एक मंथ के अंदर आपके पास वापस आ जाएगी।

- यूनिवर्सिटी स्तर पर आठ से 11 के बीच एक ओपन मेरिट एडमिशन के लिए नए सिरे से रजिस्ट्रेशन होंगे, फिर से आप रजिस्ट्रेशन करें और फिर एडमिशन करा सकतें हैं।

- इसमें एक फायदा और होगा कि आपको इंस्टॉलमेंट में फीस देनी पड़ेगी।

रातोरात किया काम

दरअसल दो जुलाई की रात 12 बजे से ही यूनिवर्सिटी स्तर से कॉलेज कोड भरने का ऑप्शन खोल दिया गया था। ऐसे में घपलेबाज साइबर कैफे संचालकों और जानकारों ने रातोंरात ही छात्रों के फार्म भर दिए। तीन जुलाई को स्टूडेंट्स ने अपनी आईडी खोली तो सामने आया कि उनके फार्म तो पहले से ही भरे हैं।

मैने अपने किसी जानकार को गलती से पासवर्ड बता दिया था, क्योंकि मेरा नेट नहीं चल रहा था। बाद में जिस दिन मुझे कॉलेज कोड भरना था तो देखा कि पहले ही किसी कॉलेज ने भर दिया है।

अंशिका

मेरा कोड पता नहीं किसने अपने आप भर दिया समझ नहीं आ रहा है। सभी कॉलेज काफी महंगे व दूर के भरे है, अब मेरा एडमिशन तो होगा पर इतने खर्चे में बीएड कैसे करुंगी ये चिंता है।

पलक

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बीएड में एडमिशन लेने के लिए कॉलेज ऑनर ने साइबर कैफे संचालकों से सांठगांठ कर कैंडिडेट का आईडी व पासवर्ड हासिल कर कॉलेज ब्लॉक कर दिया है, लेकिन इसमें एमजेपीआरयू कैंडिडेट के कोई कुछ नहीं कर सकता है, क्योंकि सब एजेंसी के हाथ में है, सभी काम एजेंसी देख सकती है।

प्रो। बीआर कुकरेती, कोऑर्डिनेटर, बीएड, संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2019