आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू

तुलसी - हर रोज सुबह चाय में तुलसी के पत्ते लें। तुलसी में थेराप्यूटिक प्रॉपर्टीज हैं। तुलसी लंग्स और गले को साफ रखती है और किसी भी इंफेक्शन से लडऩे के लिए इम्यूनिटी पावर को स्ट्रांग करती है।

गिलोय - गिलोय में 5-6 पत्ते तुलसी के लेकर पानी में 15-20 मिनट तक उबालें.  इसमें काली मिर्च, काला नमक, मिश्री मिलाएं अगर व्रत हो तो काला नमक की जगह सेंधा नमक मिलाकर गुनगुना करके थोड़ा-थोड़ा हर रोज पिएं। अगर गिलोय न हो तो मार्केट से गिलोय पाउडर का इस्तेमाल करें।

कपूर - टैबलेट साइज का कपूर एक महीने में एक बार लें। अगर किसी बच्चे को ये देना हो तो उसे मैश्ड आलू या केले में मिलाकर दें। क्योंकि बच्चों को कपूर खाने में दिक्कत होती है। इस बात का ख्याल रखें कि कपूर को रोज इस्तेमाल न करें। इसे सीजन में या महीने में एक बार लें. 

लहसुन - सुबह को गुनगुने पानी के साथ लहसुन की दो कलियां खाएं। लहसुन से इम्यूनिटी पावर बहुत तेजी से इम्प्रूव होती है।

जो लोग आसानी से दूध पी लेते हैं वो रोज रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में चुटकीभर हल्दी मिलाकर पिएं।

एलोवेरा - हर रोज एक टीस्पून एलोवेरा जैल को पानी के साथ पिएं। ये आपकी स्किन, ज्वाइंट्स और इम्यूनिटी के लिए बहुत बेहतरीन है।

प्राणायाम - सही गाइडेंस के साथ रोज सुबह प्राणायाम किया जाए तो इससे गला और फेफड़ों की पूरी एक्सरसाइज होती है।

फ्रूट्स - रसीले फल जिनमें विटामिन सी की अधिकता हो उन्हें जरूर खाना चाहिए। इसमें आंवला सबसे ज्यादा विटामिन सी रिच है।

हैंड वॉश-अपने हाथों को दिन में कई बार साबुन और गर्म पानी से अच्छी तरह धोएं। गर्म पानी से हाथों में लगे बैक्टीरिया मर जाएंगे और किसी भी तरह के इंफेक्शन से आप बच सकेंगे।

होम्योपैथ में स्वाइन फ्लू

आयुर्वेद की तरह होम्योपैथ में भी स्वाइन फ्लू की रोकथाम और इलाज मौजूद है। होम्योपैथ में इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। इसलिए इस पैथी में इलाज के दौरान ऐसी कोई समस्या नहीं होती कि बीमारी रूप बदलकर सामने आ रही है। स्वाइन फ्लू में भी रोकथाम के लिए इंफ्लूएंजम-200 दवा दी जाती है जो एक हफ्ते में एक डोज के तौर पर ली जाती है। अगर किसी को बीमारी पुष्ट हो गई है तो आर्सेनिक-30 और एकोनाइट- 30 की डोज दी जाती है। जिससे मरीज को राहत मिलती है। इसके अलावा प्यूरोजेनियम-200 और इंफ्लूएंजम-200 की पांच-पांच टैबलेट दिन में तीन बार लेने से आराम मिलता है। ये दवाएं एचवनएनवन से इतर भी सीजनल फ्लू में आराम पहुंचाती हैं।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

-खांसी, सर्दी, जुकाम व नाक बहना

-सांस लेने में तकलीफ

-कमजोरी, बेचैनी व चिड़चिड़ापन महसूस होना

-आलस आना, बेहोश होना या ठीक से खड़े न हो पाना

-लंबे समय तक तेज बुखार

-लिक्वीड चीजें पीने में मुश्किल होना

-सीने, गले और पेट में दर्द होना

-गले में खराश या उल्टी-दस्त की शिकायत

-शरीर में नीलापन या रैशेज होना

-भूख न लगना, कफ बनना

बचाव के तरीके

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वाइन फ्लू के  बचाव के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

-इस बीमारी की रोकथाम के लिए साफ सफाई का ध्यान रखें।

-सामाजिक दूरी, सांस लेते समय का शिष्टाचार, हाथों की सफाई से स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचा जा सकता है।

-जिन्हें जरा भी खांसी हो वो भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।

-साफ-सफाई का ध्यान रखें और हाथों को बार-बार साबुन से अच्छी तरह साफ करें।

-स्वाइन फ्लू के मरीज से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाए रखें।

-खांसते और छींकते समय मुंह पर  कपड़ा जरूर रखें।

-भीड़ वाली जगहों पर स्वाइन फ्लू के  मरीजों से मिलने के दौरान मास्क का इस्तेमाल करें।

-स्वाइन फ्लू के मरीज का इलाज घर की बजाय अस्पताल में कराएं।

'स्वाइन फ्लू का इलाज हर पैथी में है। ये लोगों पर निर्भर करता है कि उनका विश्वास कहां है। होम्योपैथ में स्वाइन फ्लू का प्रिवेंशन और ट्रीटमेंट दोनों मौजूद है.'

-डॉ। रजनीश भारद्वाज, होम्योपैथ

'भारत में स्वाइन फ्लू से भी खतरनाक बीमारियां हैं और उनका इलाज भी प्रकृति के पास मौजूद है। लोग प्राकृतिक दवाएं लें तो उनका रिजल्ट भी उन्हें साफ दिखाई देगा.'

-डॉ.उदयवीर सिंह, आयुर्वेदाचार्य

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