बीते हफ्ते में मानसून के कमजारे पड़ने के चलते देश में बारिश का कोटा कम हुआ है। इसका मतलब ये हुआ कि जून के महीने में जो बारिश का जो अतिरिक्त कोटा मिला था उसका फायदा भी कम हो गया है। जुलाई के पहले हफ्ते में करीब 2 फीसदी बारिश का नुकसान दर्ज किया गया।

मध्य भारत में तो इसका और ज्यादा करीब 5 प्रतिशत कम बारिश का असर देखने को मिला। जबकि जून के महीने के सेकेंड हाफ में बाकी देश के मुकाबले इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा सरप्लस वर्षा रिकॉर्ड की गयी थी। वहीं दूसरे क्षेत्रों जैसे पूर्वी और उततर पूर्वी भारत में 4 फीसद का नुकसान हुआ है। हां उत्तर पश्चिम भारत में करीब 12 प्रतिशत सरप्लस बारिश रिकॉर्ड की गयी। ये जानकारी मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों से सामने आयी है।

मध्य भारत में कम वर्षा का असर देखने को मिला लेकिन सौराष्ट्र, कच्छ, विदर्भ और छत्तीसगढ़ डिवीजन इस मामले अपवाद साबित हुए। जबकि मराठवाड़ा और गुजरात रीजन में सबसे ज्यादा नुकसान करीब 32 प्रतिशत तक रिकॉर्ड किया गया।

हाल ही में आए एक अध्ययन में भी ये स्पष्ट किया गया था कि जुलाई के महीने में कम बारिश का असर मानसून पर पड़ेगा और उसके सामान्य से कमजोर रहने की आशंका है। इस रिसर्च में कहा गया था कि जुलाई का महीना साउथ वेस्ट मानसून के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इस समय होने वाली बारिश देश के अधिकांश भाग को कवर करती है। इसलिए इस महीने में होने वाली खराब बारिश मानसून के सामान्य से कमजोर होने का कारण बनती है। अब जब भी ये पाया जाता है कि बारिश 90 परसेंट से कम हुई है तो मानसून कमजोर पड़ जाता है।

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