अभी तक पासआउट हो चुके दो बैच के बाद अब तीसरे बैच ने भी पासआउट होने से ऐन पहले हंगामा खड़ा कर दिया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि यूनिवर्सिटी का गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशंस या कंपनीज के साथ कोई रिकगनिशन न होने की वजह उन्हें न तो आगे पढ़ाई का मौका मिल पाता है और न ही सरकारी नौकरी का।

किस काम का यह कोर्स

यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां के बीटेक जियो साइंस इंजीनियरिंग के स्टूडेंट इस कशमकश में हैं कि लाखों रुपए और चार साल बर्बाद करने के बावजूद मिलने वाली डिग्री उनके लिए महज एक कागज का टुकड़ा है। इस डिग्री के बिहाफ पर न तो वह कहीं सरकारी नौकरी का सपना साकार कर सकते हैं और न ही अपनी बीटेक को एमटेक में बदल सकते हैं। छात्रों के आरोपों पर विश्वास किया जाए तो हालात तो इस कदर चिंताजनक हैं कि यूजीसी से कोर्स एप्रूव्ड होने के बावजूद इस कोर्स की डिग्रियों को प्राइवेट कंपनीज भी महज एक कागज का टुकड़ा ही मानती हैं।

हंगामा जारी रहेगा

अपने कॅरियर के चुनौतीपूर्ण मोड़ पर खड़े बीटेक जियो साइंस इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने मंडे को यूनिवर्सिटी में जमकर प्रदर्शन और हंगामा किया। तकरीबन 200 छात्रों का भविष्य अब दंाव पर लग गया है। देर शाम यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन बैकफुट पर आ गई। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने हंगामा कर रहे स्टूडेंट्स को वार्ता के लिए बुलाया। कई घंटे तक चली बातचीत के बाद स्टूडेंट्स ने शाम को धरना तो खत्म कर दिया, लेकिन यह लड़ाई यहीं खत्म होती नहीं दिख रही है। एक स्टूडेंट ने बताया कि उन्होंने इस कोर्स के एप्रूवल से लेकर तमाम जानकारियां मंगाई हैं, इसके बाद पूरा मामला आइने की तरह साफ हो जाएगा।

निराधार हैं आरोप

इस कोर्स में बीटेक करने के बाद अगर स्टूडेंट एमटेक करना चाहते हैं तो उन्हें ‘गेट’ एग्जाम से गुजरना होता है। इन सभी हंगामा करने वाले स्टूडेंट्स ने कोई ऐसा एग्जाम नहीं दिया है तो भला एमटेक में एडमिशन कैसे मिलेगा? दूसरी बात यह है कि हम अपने हर कोर्स को यूजीसी से एप्रूवल के बाद ही शुरू करते हैं। इसके अलावा हम कंपनी दर कंपनी जाकर अपने कोर्सेज की खूबियां भी बताते हैं ताकि मार्केट में डिमांड बन सके। ऐसे में कोर्स से जॉब न मिलना भी निराधार ही है।

अरुण ढांड, डायरेक्टर गवर्नमेंट रिलेशन एंड मीडिया अफेयर्स, यूपीईएस