दिल्ली गैंगरेप मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को बरक़रार रखा है जिसमें सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. इस मामले के एक अभियुक्त की मौत हो चुकी है और एक अन्य नाबालिग़ दोषी को तीन साल की सज़ा सुनाई जा चुकी है.

निचली अदालत ने दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय ठाकुर को मौत की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद दोषियों के वकीलों ने दिल्ली हाई कोर्ट में राहत के लिए गुहार लगाई, हालांकि हाई कोर्ट से उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिल सकी है.

इस मामले के एक अभियुक्त राम सिंह की तिहाड़ जेल में मौत हो चुकी है और एक अन्य नाबालिग़ दोषी को तीन साल की सज़ा पहले ही सुनाई जा चुकी है.

दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में एक मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के इस मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था.

इन चारों पर सामूहिक बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास, अप्राकृतिक कृत्य, सुबूत मिटाने और डकैती के आरोप थे.

सुप्रीम कोर्ट में अपील

दिल्ली गैंगरेप: मौत की सज़ा बरक़रार

निचली अदालत ने 13 सितंबर को चारों आरोपियों को दोषी पाया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई थी.

इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति रीवा खेत्रपाल और न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की. इस दौरान सरकारी वकील ने दलील दी कि इन दोषियों को अधिकतम सजा देने से समाज में यह संदेश जाएगा कि इस तरह के विकृत व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

हाई कोर्ट के आदेश के बाद बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि वो इस मामले में आगे सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.

दूसरी ओर पीड़िता की मां ने कहा कि वो इस फैसले से खुश हैं और उन्हें आगे भी न्याय मिलने की उम्मीद है.

इससे पहले निचली अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा था, "अदालत ऐसे अपराधों की तरफ आंख नहीं मूंद सकता. इस हमले ने समाज की अंतरआत्मा की आवाज़ को स्तब्ध कर दिया था. ये मामला सचमुच अपवाद का है और इसमें मृत्यु दंड ही दिया जाना चाहिए."

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