हाईकोर्ट ने कहा अमानवीय है कार्यवाही

हाई कोर्ट ने शकूरबस्ती की झुग्गियां गिराये जाने वाले मामले में नोटिस इश्यू करते हुए कहा है कि जिस तरह की घटना घटी वो दुखद है। अगर आपको अतिक्रमण हटाना था तो उसका तरीका होता है। बस्ती गिराए जाने के बाद ऐसे मौसम में लोगों के सिर पर छत नहीं है और ना खाने के लिए खाना। अब रेलवे और सरकार मिलकर पीड़ित लोगों को राहत पहुंचाने का काम करे। कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसा कदम उठाने के पहले मानवीय भावनाओं को ख्याल नहीं रखा गया। हाई कोर्ट ने रेलवे, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी कर गुरुवार तक बस्ती गिराए जाने से पहले की गई पूरी कार्रवाई की जानकारी देने के लिए भी कहा है।

एक मासूम की जान गयी तो जन्मी एक और जिंदगी

इस बीच जहां डिमालेशन के बाद ठंड से एक बच्चे की जान जाने की बात कही जा रही है वहीं अब यहां एक नई जिंदगी का जन्म हुआ है। खुले आसमान के नीचे पैदा हुई इस बच्ची के सिर पर छत नहीं है। बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया। रेलवे और दिल्ली पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई के बाद शकूर बस्ती की झुग्गियों में रहने वाले लोगों ने तीसरी रात भी खुले आसमान के नीचे बिताई। जरूरतों के अभाव में जीने को मजबूर इन लोगों को बस एक उम्मीद का सहारा है। दरअसल, पश्चिमी दिल्ली के शकूर बस्ती स्थित स्लम एरिया में रेलवे पुलिस द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में 500 झुग्गियों को गिरा दिया गया।

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