-30 हेक्टेयर भूमि को हाईवे अथॉरिटी ने नहंी कराया गजट, सितंबर में हो जाएगा दावा खारिज
-125 हेक्टेयर जमीन पर मेरठ प्रशासन ने हाइवे अथॉरिटी को भूमि अधिग्रहण कर सौंप दी
-किसानों की मंशा को भांपकर आशंकित है प्रशासन, कई बार लिखा पत्र
Akhil dixit
Meerut। एनएचएआई की हीलाहवाली से कहीं दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का सपना धरा का धरा न रह जाए। जिला प्रशासन इस आशंका के मद्देनजर अथारिटी को लगातार पत्र लिख रहा है तो वहीं सितंबर माह में गजट न होने से तकरीबन 30 हेक्टेयर की भूमि पर प्रशासन का दावा खारिज हो जाएगा। परियोजना के लिए मेरठ के 12 गांवों से 125 हेक्टेयर भूमि को अवार्ड कर दिया गया है। एनएचएआई द्वारा निर्माण शुरू न कराने से भी प्रशासन के माथे पर बल पड़ रहे हैं।
खारिज हो जाएगा दावा
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए मेरठ जनपद के 12 गांवों में करीब 125 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। 11 गांवों में एनएचएआई को करीब 30 हेक्टेयर जमीन की और आवश्यकता है। इसे लेकर जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3 ए का प्रकाशन 24 सितंबर 2015 को कराया है। इस प्रकरण में अधिनियम की धारा 3 डी का प्रकाशन राजपत्र में कराया जाना शेष है। जिला प्रशासन का कहना है कि यदि सितंबर माह तक गजट का प्रकाशन नहीं किया गया तो 30 हेक्टेयर भूमि से प्रशासन का दावा खारिज हो जाएगा।
क्या है धारा 3 ए
-राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 में दर्ज इस धारा का उल्लेख जनहित में किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी के अधिग्रहण के संबंध में है। उक्त भूमि /प्रॉपर्टी का ब्योरा प्रकाशित कर आपत्तियां और सुझाव मांगे जाते हैं।
क्या है धारा 4 डी
एक्ट की धारा 3 ए के तहत नोटीफाइड प्रॉपर्टी-भूमि का गजट कराया जाता है। गजट के बाद उक्त भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। एक वर्ष के अंतराल तक गजट न कराने से धारा 3 ए के तहत कार्यवाही खारिज हो जाएगी।
125 हेक्टेयर का अधिग्रहण
एडीएम भूमि अध्याप्ति डीपी श्रीवास्तव ने बताया मेरठ के 12 गांवों से 125 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। जिला प्रशासन ने करीब 250 करोड़ रुपये का मुआवजा किसानों को अदा किया है। एनएचएआई के परियोजना निदेशक को जिला प्रशासन की ओर से कई बार 30 हेक्टेयर भूमि को धारा 3 डी के तहत गजट में प्रकाशन के लिए लिखा है।
ये 12 गांव
चंदसारा, अछरौंडा, भूड़बराल, भराल परतापुर, घोसीपुर, खानपुर, नगला पातू, सलेमपुर, साकरपुर, नरहौड़ा, काशी, सौलाना।
परियोजना पर एक नजर
-मेरठ से दिल्ली की कुल दूरी 74 किमी
-परियोजना पूरी होने का अनुमानित समय- ढाई वर्ष
-एक्सप्रेस-वे के बाद दिल्ली का सफर 45 मिनट का होगा
-मेरठ में दो जगहों पर बनेगा टोल प्लाजा: एक टोल प्लाजा जर्रानपुर के निकट, दूसरा एनएच-58 पर होगा।
-मेरठ जिला प्रशासन ने अब तक 250 करोड़ की भूमि कर ली है अधिगृहित
-एनएच-58 पर कम होगा दबाव, वर्तमान में प्रति सेकंड एक वाहन होता है पास
कुछ ऐसा होगा एक्सप्रेस-वे
यूपी गेट से डासना तक 8 लेन का छह हाई-वे आएगा। छह लेन का एक्सप्रेस-वे भी साथ चलेगा। डासना से मेरठ आने के पूर्व एक्सप्रेस-वे दो शाखाओं में बंट जाएगा। एक शाखा जुर्रानपुर-हापुड़ रोड की तरफ निकल जाएगी। जबकि दूसरी शाखा भूड़बराल के पास नौ किमी की होगी। यह भी छह लेन का होगा। बाद में 14 लेन तक के विस्तार का विकल्प रखा जाएगा।
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12 गांवों की 125 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है। करीब 30 हेक्टेयर भूमि का राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3 डी के तहत गजट का प्रकाशन एनएचएआई को कराना है। कई बार अथारिटी को पत्र लिखा गया है। सितंबर में गजट नहीं कराया गया तो इस जमीन पर दावा खारिज हो जाएगा।
डीपी श्रीवास्तव, एडीएम एलए, मेरठ