Bareilly: दिल्ली में छाई धुंध के कहर से ट्यूजडे को बरेली भी अछूती नहीं रही। सुबह से शाम तक शहर कोहरे और धुंध की चादर में लिपटा रहा। वेदर एक्सपर्ट दिन भर छाए धुंध को सर्दी की दस्तक मान रहे हैं। उन्होंने आगामी करीब 3 दिनों तक शहर में ऐसा ही मौसम बना रहने की संभावना जताई है। दिन भर छाई धुंध की वजह से बरेलियंस सूर्यदेव के दर्शन नहीं कर सके।

 

मौसम का पूर्वानुमान

वहीं, चल रही हल्की सर्द हवा से अधिकतम तापमान 3 डिग्री की गिरावट के बाद 25.9 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 15.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। आंचलिक मौसम विज्ञान अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉ। जेपी गुप्ता ने बताया कि आगामी दिनों में पर्वतों से सटे मैदानी क्षेत्रों में आकाश में धुंध छाई रहेगी। कम समय के लिए धूप खिलने से दिन और रात के तापमानों में गिरावट होने के आसार हैं। अधिकतम तापमान 26 से 27.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 12 से 13.4 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। रात में हल्की ओस पड़ने और सुबह वायुमंडलीय हवा में 90 से 94 प्रतिशत के बीच नमी दर्ज की जाएगी। हवा की गति का औसतन 1.8 से 2.8 किमी0 प्रति घन्टे के बीच रहेगी। जो पूर्व उत्तर पूर्व दिशा से चलने की संभावना है।

 

 

जहरीली हो गई है बरेली की 'हवा'

- हवाओं में घुले हैं कार्बन के कण और हेवी मेटल पार्टिकल्स जो हैं खतरनाक

 

 

इस दिवाली भले ही कम पटाखे फूटे मगर जितने फूटे उतने से ही शहर की आबोहवा जहरीली हो गई है। वेदर एक्सपर्ट जिसे धुंध मान रहे हैं उसे डॉक्टर्स जहरीला धुआं मान रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक आसमान में सिर्फ धुंध नहीं है। इस धुंध में जहरीली गैसें भी शामिल हैं जो आतिशबाजी से निकली है। यह एंवॉयरमेंटल चेंज सेहत के लिए किसी शांत खतरे से कम नहीं है। खासतौर से मॉर्निग वाकर्स को ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी है। क्योंकि यह उनके लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।

 

हवा में हैं कार्बन के कण

डॉक्टर्स के मुताबिक धुंध में कार्बन के कण और हेवी मेटल पार्टिकल्स घुले हैं। जो सांस के जरिए शरीर में पहुंचकर नुकसान पहुंचा सकते हैं। हेवी मेटल्स कैंसर का कारण भी बन सकता है। क्योंकि इन दिनों मौसम में नमी है। कोहरे के साथ यह गैसें पर्यावरण के निचले स्तर पर हैं। जिसकी वजह से रेस्पीरेटरी सस्पेंडेड पर्टीकुलेट मैटर 'आरएसपीएम' की बढ़त स्वाभाविक है। वेदर एक्सपर्ट ने आगामी तीन दिन बाद वातावरण में इन गैसों का प्रभाव कम होने की संभावना जताई है। हालांकि, इस बीच फेफड़े और आंखों को काफी नुकसान हो सकता है।

 

दमा रोगियों को खतरा

जिला अस्पताल के फिजीशयन डॉ। वागीश के अनुसार कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक हैं। पानी से मिलकर यह गैसें सल्फ्यूरिक एसिड बनाती हैं। जो काफी नुकसानदायक होता है। दमा के पेशेंट के लिए यह गैसें जानलेवा तक हो सकती हैं। सामान्य लोगों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। उन्हें छाती और आंखों का इन्फेक्शन हो सकता है। ऐसे में सुबह और शाम को धुंध बढ़ जाती है। इस बीच दमा के पेशेंट्स समेत बच्चों और बुजुर्गो को घर से बाहर कम ही निकलने की सलाह दी है।