उन्होंने ये भी कहा कि हाल के वर्षों में पंजाब और महाराष्ट्र पलायन करने वाले बिहार के मजदूरों की संख्या में काफी कमी आई है, तो राज्य में विकास की कहानी कहती है।

बिहार राज्य के गठन के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में दिल्ली में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, "दिल्ली की आबादी में 20 प्रतिशत हिस्सा बिहार के लोगों का है। वे शहर की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देते हैं। अगर वे एक दिन भी काम करना बंद कर देंगे, तो दिल्ली थम जाएगी। मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि उन्हें काम करना बंद कर देना चाहिए। लेकिन ये बिहार के लोगों का सामर्थ्य है."

विकास

उन्होंने कहा कि बिहार के लोग बोझ नहीं, बल्कि संपत्ति हैं। नीतीश ने कहा, "पंजाब के बड़े किसान और उद्योगपति मजदूरों की कमी की शिकायत कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है कि क्योंकि बिहार से आने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आई है। अब इन्हें अपने राज्य में रोजगार मिल रहा है."

एक सर्वे का हवाला देते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार से अन्य राज्यों को जाने वाले मजदूरों की संख्या में 26 प्रतिशत गिरावट आई है। इसके लिए उन्होंने राज्य के विकास कार्यों के अलावा मनरेगा को भी श्रेय दिया।

उन्होंने उस तर्क को खारिज कर दिया कि बिहार के लोग को बाहर जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

नीतीश ने कहा, "ये कहना गलत है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग बाहर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। ये जरूर है कि वे बाहर जाते हैं, न सिर्फ देश के अलग-अलग हिस्सों में बल्कि विदेश भी जाते हैं। लेकिन वे वहाँ की आर्थिक प्रगति में योगदान देते हैं."

इस मौके पर उन्होंने 20 लोगों को सम्मानित किया, जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में नाम कमाया है। इनमें शामिल थे- सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा, पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन, पूर्व क्रिकेटर सबा करीम और अभिनेता मनोज तिवारी।

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