ये फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट में दायर भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका के मद्देनज़र किया गया है.
जुविनाइल जस्टिस बोर्ड इससे पहले इस मामले पर तीन बार अपना फैसला टाल चुका है.
दरअसल भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की थी कि नाबालिग की परिभाषा को दोबारा तय किया जाए. इस
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभी अपना फैसला नहीं दिया है.
इसलिए जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने भी अपने फैसले को टाल दिया. सु्प्रीम कोर्ट सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर इस हफ्ते फैसला दे सकता है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट से मांग की है कि “ऐसे अभियुक्तों की मानसिक और बौद्धिक उम्र को” ध्यान में रखा जाए न कि 18 साल की उम्र को.
सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से ये भी कहा था कि अगर जुविनाइल जस्टिस बोर्ड दिल्ली गैंगरेप केस में फैसला सुनाता है तो उनकी अर्ज़ी का कोई
मतलब नहीं रह जाएगा.
क्या है मामला?
इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है
इस नाबालिग किशोर पर बलात्कार, हत्या और अपहरण समेत कई आरोप लगे थे और दोषी पाए जाने पर नाबालिग अभियुक्त को तीन साल तक की
सज़ा हो सकती है जिस दौरान उसे सुधारगृह में रखा जाएगा.
ये मामला पिछले साल 16 दिसंबर का है. फिजियोथेरेपी की पढ़ाई कर रही एक लड़की के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार हुआ था.
पुलिस के मुताबिक अभियुक्तों ने लड़की और उनके पुरुष मित्र के साथ मारपीट भी की थी.
लड़की को इलाज के लिए सिंगापुर भी ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई.
इस मामले में कुल छह लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. इनमें से एक को कुछ महीने पहले जेल में मृत पाया गया था.
जेल अधिकारियों का कहना था कि उन्होंने ख़ुदकुशी की है जबकि परिवार वालों का आरोप था कि ये हत्या का मामला है. इस मामले की सुनवाई
फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है.
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