Lucknow: इलेक्शन करीब है और आयोग की सख्ती से अपराधियों के भी होश फाख्ता हैं। लेकिन उनका कारोबार भी पूरी रफ्तार से चल रहा है.  आयोग की सख्ती का असर यह है कि अवैध असलहों के रेट दोगुना हो गये हैं। इसकी फैक्ट्री काकोरी, मलिहाबाद, मोहनलालगंज और नगराम जैसे एरिया में छोटे-छोटे कमरों में चल रही हैं। लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड मुंगेरी असलहों की है. 

.315 और 12 बोर के तमंचे बनाना है आसान

अवैध रुप से तमंचा बनाने वाले एक युवक ने बताया कि 315 बोर और 12 बोर के तमंचे बनाना सबसे आसान है। इसमें वक्त भी ज्यादा नहीं लगता। इसको तैयार करने में लागत साढ़े तीन सौ से पांच सौ रुपये की आती है। वहीं इसे दो हजार से ढाई हजार में आसानी से बेच देते हैं। वहीं .32 बोर के असलहों में लोगों की पहली पसंद मुंगेर के ही असलहे हैं।

इलेक्शन ने बढ़ाया दाम

अवैध असलहों का कारोबार करने वाले एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि इलेक्शन में माल की डिलेवरी करना सबसे मुश्किल काम साबित हो रहा है। ऐसे में सुरक्षित डिलेवरी के लिए असलहों के दाम डेढ़ से दो गुना बढ़ गये हैं। बावजूद इसके डिमांड में कोई कमी नहीं आ रही है। सबसे ज्यादा डिमांड रुरल एरिया में हो रही है।

पकड़ी जा चुकी हैं फैक्ट्रियां

पिछले महीने काकोरी पुलिस ने एक गांव में चल रही असलहों की फैक्ट्री पकड़ी थी और काफी मात्रा में असलहे बरामद किये थे। पुलिस ने फैक्ट्री चलाने वाले श्यामलाल रावत को अरेस्ट किया था। इसके पकड़े जाने के बाद भी काकोरी पुलिस बीस दिन के अंदर पांच से ज्यादा अवैध असलहे पकड़ चुकी है। यानी कारोबार कहीं न कहीं चल जरूर रहा है।

मुंगेर से भी आ रहे असलहे

कुछ दिन पहले एसटीएफ ने दो लड़कों को अरेस्ट किया थ्ज्ञा जिन्होंने मुंगेर के असलहों की लखनऊ में सप्लाई करने की बात कुबूल की थी। एसटीएफ के हत्थे चढ़े विनेाद कुमार उर्फ कल्लन और नौशाद के पास से पुलिस ने .32 बोर की चार पिस्टल बरामद की थी। पुलिस का कहना था कि यह असलहे मुंगेर से आकर यूपी के कई जिलों में सप्लाई हो रहे थे।

पुलिस ने दोनों युवकों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया था। पूछताछ के दौरान विनोद कुमार ने बताया था वह मुंगेर में सद्दाम नामक व्यक्ति से असलहे मंगवाता था तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में सप्लाई करता था। मुंगेर में असलहे सप्लाई करने वालों से उसका सम्पर्क उसी के गांव के सुनील पुत्र हरेन्द्र सिंह जो कि सेन्ट्रल कारागार में आरक्षी है, के माध्यम से हुआ था।

इससे पहले भी मुंगेर से उसने असलहे मंगवाये हैं और असलहों के पैसे सुनील के बैंक एकाउंट में जमा करवाये हैं।

हाथ आते हैं सिर्फ कैरियर

एसटीएफ के हाथ चढ़े विनोद और नौशाद तो बस कैरियर थे। हर बार केवल असलहों के डिलेवरी मैन ही पुलिस के हाथ आते हैं। कुछ माह पहले पुलिस ने अमीनाबाद के दानिश को अरेस्ट किया। दानिश के पास से भी मुंगेर की एक रिवाल्वर मिली थी। दानिश भी कैरियर था।

मुंगेरी असलहे हैं पहली डिमांड

अपराधियों का मानना है कि मुंगेरी असलहों की डिमाण्ड की पहली वजह कीमत है। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक मुंगेर में पांच हजार रुपए में मिलने वाली .32 बोर की रिवाल्वर की कीमत लखनऊ में 10 हजार रुपए से अधिक नहीं होती है। इसके साथ मजबूत बनावट डिमाण्ड की दूसरी वजह है। मुंगेर की रिवाल्वर हूबहू आर्डिनेंस फैक्ट्री की नकल होती है। उन पर मेड इन यूएसए का लेबल होता है ।

Reported By: Yasir Raza