- एक दुकानदार दिन में 5 से 6 कुंतल बेच रहा जलौनी

- प्रतिदिन 2 सौ से 3 सौ कुंतल बिक रही जलौनी लकडि़यां

- फुटकर में 10 से 15 रुपए प्रति किलो मिल जा रहा है दाम

GORAKHPUR: कड़ाके की ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। सभी इससे बचने के इंतजाम में जुटे हुए हैं। हीटर-ब्लोअर के कारोबार में तो जबरदस्त उछाल आया ही है, लेकिन बिजली का बिल न बढ़ जाए, इसको देखते हुए लोग अल्टरनेट व्यवस्था भी अपनाने लगे हैं। यही वजह है कि ठंड के इस मार्केट में लकडि़यों का कारोबार भी खासा गर्म हो चुका है। हालत यह है कि सिर्फ जनवरी के 14 दिनों में गोरखपुराइट्स ने करीब एक करोड़ रुपए की लकडि़यों फूंक डाली हैं। जिस तरह से ठंड का सितम है, आगे भी कारोबार के यूं ही फलने-फूलने की उम्मीद है।

15 दिनों में बिक गई 900 टन लकड़ी

दिसंबर के आखिर से ठंड ने अहसास दिलाना शुरू कर दिया। मगर पिछले 15 दिनों से कड़ाके की ठंड से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालत यह है कि सिटी में रोजाना करीब 5 से 6 सौ कुंतल लकडि़यां लोग फूंक डाल रहे हैं। आरा मशीनों से थोक में लकडि़यों को खरीदकर आसपास के इलाकों में मनमाने दाम पर बेच दिया जा रहा है। ठंड से ठिठुर रहे लोगों के अलाव पर भरोसे को कैश कराते हुए व्यापारी भी दोगुना मुनाफा कमाने की फिराक में हैं। जनवरी माह में ही अब तक 900 टन से अधिक जलौनी लकडि़यों की बिक्री हो चुकी है। हालत यह है कि उनके पास से स्टॉक तक खत्म हो जा रहा है।

डबल हो गए ऑर्डर

जनवरी माह से ही पड़ रही कड़ाके की सर्दी कारण पिछले साल से कहीं ज्यादा इस बार अलाव के लिए लकडि़यों की बिक्री हो रही है। थोक के दुकानदारों का कहना है कि फुटकर बेचने वाले दुकानदार जो माह में एक बार माल ले जाते थे वह सप्ताह में दो बार आर्डर दे रहे हैं। जिसकी वजह से माल की कमी हो जा रही है। नगर निगम भी आरा मशीनों से ही जलौनी की खरीदारी कर रहा है। इससे खपत का आंकड़ा काफी बढ़ गया है, जबकि डिमांड के मुताबिक लकड़ी नहीं मिल पा रही है। यही वजह है कि अब दुकानदार भी लकडि़यों के मनमाने दाम वसूल रहे हैं।

सूखी लकडि़यों के ज्यादा दाम

जलौनी की लकडि़यों का बिक्री सामान्य दिनों में चुनिंदा जगहों पर होती है। बेकरी की भट्ठियों और शव जलाने के लिए ही इनका उपयोग किया जाता है। लेकिन लंबे समय से पड़ रही सर्दी के कारण उनकी डिमांड काफी हो गई है। थोक में 600 से 700 रुपए तक प्रति कुतंल की बिक्री हो रही है। सूखी लकडि़यों के लोग मुंह मांगे दाम देने के लिए तैयार हैं, जबकि जबकि गीली लकडि़यों की रेट टू रेट सेल है। फुटकर व्यापारी लकडि़यों खरीदने के बाद अपनी लागत और मुनाफा जोड़ कर लकडि़यां बेच रहे हैं।

स्टैटिक्स -

सिटी में दुकानें करीब 50

प्रति दुकान बिक्री 5 से 6 कुंतल

एक दिन की बिक्री 250 से 300 कुंतल

जनवरी माह में बिक्री 400 से 450 टन

थोक में रेट 500 से 700 रु कुंतल

फुटकर में रेट 10 से 15 रु प्रति किलो

ठंड के कारण जलौनी की लकडि़यों की बिक्री अचानक से बढ़ गई है। जनवरी माह में हमारे दुकान से ही सौ कुंतल से ज्यादा लकडि़यां बिक गई हैं। अभी बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है।

- जमाल अहमद, शॉपकीपर

प्रतिदिन 5 से 6 कुंतल लकडि़यों की बिक्री हो जा रही है। ऐसी बिक्री इस सीजन में नहीं हुई है। इतनी डिमांड बढ़ गई है कि उसे पूरा नहीं किया जा पा रहा है।

द्वारिका, थोक व्यापारी

पिछले पंद्रह दिनों से पड़ रही सर्दी के कारण जलौनी लकडि़यों की मांग दो से तीन गुना ज्यादा हो गई है। मांग को पूरा करने के लिए सालों से रखी लकडि़यों को भी बेच दिया गया है। फिर भी मांग आ रही है।

मो। शहबान