बड़े पैमाने पर अवैध ढ़ांचे
इससे पूर्व अधिकरण द्वारा गठित एक कमेटी ने सूचित किया था कि राजधानी की पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील सेंद्रल रिज इलाके में आश्रम ने व्यापक पैमाने पर अवैध निर्माण किया है. अधिकरण ने इस इलाके के एक हिस्से के निरीक्षण के लिये अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के एक प्रतिनिधि तथा रिज प्रबंधन बोर्ड के प्रतिनिधि वाली एक कमेटी गठित की थी. अधिकरण को सौंपी गयी रिपोर्ट में कमेटी ने कहा कि आश्रम में बड़े पैमाने पर अवैध ढ़ांचे हैं.

नक्शे से गायब
आश्रम परिसर में विस्तृत सर्वेक्षण करने वाली कमेटी ने पाया कि वहां अस्थायी और स्थायी ढांचा हैं, जो 1996 के नक्शे में नहीं हैं. तकरीबन 350 फुट संवर्क मार्ग के साथ कुल क्षेत्र 4312 वर्ग गज दिखाया गया है. अधिकरण ने कमेटी से यह सूचित करने को भी कहा था कि क्या हाल में कोई निर्माण किया गया है. संजय कुमार की याचिका पर अधिकरण का यह निर्देश आया है.

याचिकाकर्ता का क्या है कहना
याचिकाकर्ता के वकील गौरव बंसल ने पीठ को बताया कि आसाराम के न्यास ने यहां सेंट्रल रिज इलाके में एक आश्रम और अन्य ढ़ाचे अवैध तौर पर बनाये गये हैं जबकि दिल्ली सरकार ने मई 1994 में एक अधिसूचना जारी कर इसे भारतीय वन कानून के प्रावधानों के तहत 'संरक्षित वन' घोषित किया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे मीडिया की एक रिपोर्ट से पता लगा है कि करोल बाग में ‘असाराम जी ट्रस्ट ’ ने अवैध तौर पर ‘आश्रम ’ बनाया है . उन्होंने बताया कि मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार आठ साल पहले खुद शहरी विकास मंत्रालय ने स्वीकार किया कि सेण्ट्रल रिज इलाके की जमीन के एक बड़े भाग पर ट्रस्ट ने अवैध तौर पर अतिक्रमण किया है . 72 वर्षीय आसाराम को पिछले साल अगस्त में बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वह न्यायिक हिरासत में हैं . 

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